Bettiah Nagar Nigam – जानिए बेतिया नगर निगम क्या है? इससे शहर को क्या फ़ायदा मिलेंगी?

By Apna Bettiah

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Bettiah Nagar Nigam: सबसे पहले आप समस्त बेतियावासियों को बेतिया शहर को नगर निगम (Bettiah Nagar Nigam) बनाएं जाने के लिए हार्दिक बधाई, आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से नगर निगम के मुख्य कार्यों को समझने का प्रयास करेंगे।

हम आपको बताना चाहेंगे की, बेतिया शहर को नगर परिषद से नगर निगम (Bettiah Nagar Nigam) में स्थापित करने का निरंतर प्रयास सालों से स्थानीय नेतागणों एवं अधिकारीयों द्वारा किया जा रहे थे। और इस साल के मार्च माह यानि मार्च 2020 से इस प्रयास की गतिशीलता को बढ़ा, बेतिया नगर निगम स्थापित करने के लिए प्रयास किये जा रहा था।

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इसके लिए कई बैठकों का दौर चलता रहा तथा टीम वर्क एवं समन्वित प्रयास के फलस्वरूप नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव द्वारा सचिवालय के अधिवेशन भवन में पश्चिमी चम्पारण जिले से भेजे गए नगर निकायों के गठन से संबंधित प्रस्ताव की समीक्षा की जा रही थी। और आख़िरकार 26 december 2020 को सरकार द्वारा बेतिया नगर परिषद को नगर निगम के लिए सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गयी।

बेतिया के मेरे भाई-बहनों को यह जानकर काफी ख़ुशी होगी कि बेतिया नगर परिषद क्षेत्र को नगर निगम में प्रोन्नत करने के लिए…

Posted by Sanjay Jaiswal on Friday, 25 December 2020

Bettiah Nagar Nigam | बेतिया नगर निगम

बेतिया नगर निगम को स्थापित करने हेतु नगर निकायों से संबंधित प्रस्ताव की समीक्षा हेतु कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, बेतिया, श्री विजय कुमार उपाध्याय तथा इस कार्य हेतु गठित टीम के अन्य सदस्य प्रस्ताव से संबंधित दस्तावेजों तथा अन्य आवश्यक कागजातों के साथ नगर एवं आवास विभाग, पटना के कार्यलय में उपस्थित रहकर निरंतर कार्य कर रहे थे।

कार्यपालक पदाधिकारी, बेतिया द्वारा बताया गया कि बेतिया नगर निगम – Bettiah Nagar Nigam में निकटवर्ती चार प्रखंडों के कुल 17 ग्राम पंचायतों को शामिल किये जाने का प्रस्ताव शामिल किये गए थे। जिसके स्वरूप नगर निगम के गठन के पश्चात बेतिया नगर निगम की आबादी 1 लाख 38 हजार 736 से बढ़कर 4 लाख 14 हजार 453 हो जाएगी। गठन के बाद शामिल किए गए क्षेत्रों का सीमांकन करते हुए वार्डों का पुर्नगठन किया जाएगा।

DM Kundan Kumar IAS

जिले के दो नगर निकायों के उन्नयन तथा पांच प्रखण्ड मुख्यालयों के नगर पंचायत बन जाने से आधारभूत संरचनाओं का तेजी से विकास होगा। श्री कुंदन कुमार जी ने कहा कि उक्त प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने में संबंधित अधिकारियों का सराहनीय योगदान रहा है। सभी के समन्वित प्रयास के द्वारा शीघ्र ही Bettiah Nagar Nigam एवं रामनगर नगर पंचायत को नगर परिषद तथा अन्य चार प्रखंड मुख्यालयों को नगर पंचायत के रूप में गठन करते हुए तीव्र गति से विकसित किया जाएगा।

श्री कुंदन कुमार

जिलाधिकारी, पश्चिमी चम्पारण

बेतिया नगर निगम स्थापित होने से कौन सी सुविधाएँ मिलेंगी?

Bettiah Nagar Nigam: नगर निगम एक स्थानीय शासी निकाय के लिए कानूनी नाम होता है, जो शहर, काउंटियों, कस्बों, बस्ती, चार्टर बस्ती, गांवों और नगर सहित स्थलों के लिए प्रयुक्त शब्द होता है। भारत में एक नगर निगम एक स्थानीय सरकार के रूप में 2 लाख या उससे अधिक की जनसंख्या के एक शहर का प्रशासन करता है। यह राज्य सरकार के साथ सीधे संपर्क रखता है, हालांकि यह प्रशासनिक दृष्टि से जिले के अधीन ही आता है व उसी में स्थित होता है।

नगर निगम को ही महानगर पालिका, सिटी कारपोरेशन, महानगर निगम या नगर निगम कहा जाता है। नगर निगम (Municipal Corporation) की स्थापना भारत में सबसे पहले 1687 ई। में मद्रास में हुई थी। इसके बाद, बॉम्बे और कलकत्ता के नगर निगमों का आयोजन किया गया।

नगर निगम का मुख्य कार्य लोगों के जीवन स्तर में सुधार और उन्हें उचित स्तर पर बनाए रखने के लिए सार्वजनिक सुविधाओं का विकास करना है। इसके लिए शहर के विभिन्न क्षेत्रों में स्वच्छता, पेयजल, संक्रमण, जल निकासी, स्ट्रीट लाइटिंग, और सड़क सुधार जैसे विभिन्न सार्वजनिक सुविधाओं जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को जनता के साथ इसके रखरखाव और रखरखाव के बारे में एक संवाद रखा जाता है।

और उस पर त्वरित कार्रवाई के लिए इस तरह के तंत्र को विकसित करना आवश्यक है, जो पूरी क्षमता के साथ स्वचालित रूप से काम करता है।

Bettiah Nagar Nigam में स्थापित होने के पश्चात हमें काफी सारे सुविधाएँ मिलेंगी जो निम्नलिखित हैं।

  • इस फैसले से ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, पेयजल, ड्रेनेज जैसी सुविधाओं का विस्तार को और गति मिलेगी।
  • जरूरतमंद गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ देने की प्रक्रियाएं और आसान होंगी।
  • जनसंख्या के आधार पर केंद्र से मिलने वाली अनुदान राशि में वृद्धि होगी।
  • गांवों में अमृत योजना से पेयजल और सीवर के काम हो जाएंगे।
  • शहरी आजीविका मिशन योजना लागू हो पाएगी।
  • सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट में कूड़ा प्रबंधन का फायदा मिल पाएगा।
  • विकास कार्यों में बढ़ोतरी होने से रोजगार के मौकों में भी वृद्धि होगी।

नगर निगम क्या है | What is Municipal Corporations?

एक नगर निगम उन शहरी क्षेत्रों को संदर्भित करता है जहां जनसंख्या 200000 या अधिक है। जब भारत के भीतर शहरों में शहरीकरण बढ़ना शुरू हुआ, तो राज्य सरकार से कुछ राशि लेकर या अनुदान प्राप्त करके शहरीकरण करने के लिए एक निकाय की आवश्यकता थी, जिसमें शहर के भीतर आवश्यक सामुदायिक सेवाओं जैसे स्वास्थ्य देखभाल, शैक्षणिक संस्थानों का विकास शामिल है, इत्यादि प्रधान करने के लिए कार्यरत हो सके।

आवासीय परिवहन संचालन, आदि यह सब देखने के बाद, नगर निगम की स्थापना की गई थी। नगर निगम यह कहने के लिए नगरपालिका से ऊपर है कि एक नगर पालिका एक लाख से अधिक की आबादी वाले क्षेत्र का प्रशासन करती है लेकिन फिर भी एक नगर निगम 1 मिलियन से अधिक या 1000000 तक की आबादी वाले क्षेत्र को नियंत्रित कर सकता है। कुछ प्रावधान हैं भारत के भीतर नगर निगमों के संबंध में, जो 74 वें संशोधन में लिखा गया है।

बेतिया नगर निगम के कार्य Municipal Corporation Work

एक नगर निगम के लिए राज्य के अंतर्गत अधिकारों और कर्तव्यों दोनों के लिए दायित्व हैं। जिन्हें नगर निगम द्वारा समय-समय पर सूचीबद्ध करके पूरा किया जाता है। नगर निगम द्वारा बनाई गई 12वीं सूची में सूचीबद्ध मामलों के संबंधित कार्य करने और विधिवत योजनाओं को लागू करवाने तथा करने संबंधित कार्यों को किया जाता है।

bettiah nagar nigam - बेतिया नगर निगम
बेतिया नगर निगम
  • नगर निगम द्वारा प्रदेश में आ रही भूमि उपयोग और भवन के निर्माण का विनियम कार्य।
  • Bettiah Nagar Nigam द्वारा नगर नियोजन सहित शहरी नियोजन का कार्य।
  • Bettiah Nagar Nigam द्वारा प्रदेश के अंदर आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योजनाएं बनाना।
  • Bettiah Nagar Nigamद्वारा प्रदेश के घरेलू औद्योगिक और वाणिज्य प्रायोजनो के लिए जल की आपूर्ति करना।
  • बनाई गई योजनाओं पर अमल कर उन्हें लागू करना।
  • प्रशासनिक शहर के अंदर जल आपूर्ति की व्यवस्था करना
  • प्रशासनिक शहर में बनी सड़कों के निर्माण कार्य को देखना तथा उनकी जांच करना
  • नगर निगम के तहत आ रहे क्षेत्र के अंदर अस्पतालों की देखरेख करना तथा उनकी समय समय पर जांच करना
  • शहर में हो रहे जन्म और मृत्यु के रिकॉर्ड के पंजीकरण की पूर्ण व्यवस्था
  • शहर के कूड़े करकट और जल निकास की पूर्ण व्यवस्था रखना
  • शहर के अंदर उद्यान पार्क और खेल के मैदानों को बनाए रखना
  • शहर के अंदर आपातकालीन की स्थिति में अग्निशामक सेवाओं की तत्परता।
  • क्षेत्र के अंदर सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य सर्वेक्षण की पूर्ण व्यवस्था बनाए रखना।
  • शहर के अंदर गरीब लोगों की उन्मूलन की व्यवस्था।

इसके अलावे भी नगर निगम के तहत काफी साड़ी सुविधाएँ मुहैया कराई जाती हैं, जैसे के सड़क चौड़ीकरण आदि,

नगर निगम के आय के स्रोत Sources Of Municipal Corporation Income

नगर निगम को नगर परिषद से अधिक धन की व्यवस्था करने की जरूरत पड़ती है। क्योंकि एक नगर निगम में जनसंख्या एक नगर परिषद के मुकाबले में कई गुना अधिक होती है। नगर निगम के आय का स्रोत ठीक नगर परिषद के जैसे ही होते हैं, परंतु इसमें कुछ बदलाव भी होता है। क्योंकि नगर निगम का क्षेत्र नगर परिषद के मुकाबले बड़े तौर पर फ़ैल जाते हैं, इसलिए कर थोड़ा लगाया जाता है और अधिक जनसंख्या के कारण, नगर परिषद की तुलना में अधिक कर वसूल किया जाता है।

नगर निगम का आय के स्रोत निम्न हैं

  • नगर निगम की आय का स्रोत शहरों के भीतर, बाजार से, और वाहनों से, करों को इकट्ठा करके, अन्य कार्यों से, पानी की व्यवस्था से नगर निगम की आय है।
  • नगर निगम की आय देश के भीतर वाहनों के चालान, और उन पर कर लगाने से प्राप्त होती है।
  • नगर निगम की आय का स्रोत राज्य के अंदर आने वाले पुलिस स्टेशन से भी है।
  • राज्य के भीतर होने वाले तहसीलों के कार्यों से आय के स्रोत भी।
  • राज्य में समय-समय पर प्राप्त अनुदान राशि की आय।
  • शहर के अंदर घरों. मनोरंजन के साधन।
  • बिजली. फिल्टर पानी. वाहन संपत्ति और भूमि सहित करो से होने वाली आय।
  • शहर के अंदर बनी सड़क पर टोल टैक्स से होने वाली आय।
  • रेन बसेरा, होटल, से होने वाली आय।
  • होर्डिंग, बैनर से होने वाली आय।
  • नगर निगम द्वारा स्थापित की गयी दुकानों से होने वाली आय।
  • पर्यटन के अंदर, किराए पर कमरा, सत्ता नगर पालिका की संपत्ति किराए पर देकर, से होने वाली आय।
  • शहर के अंदर सभी नियोक्ताओं , सरकारी और निजी क्षेत्र में व्यावसायिक लोगों से कर संग्रह से होने वाली आय।
  • इत्यादि।

जो आप जानना चाहते हैं, जानिए कैसे काम करती है नगर निगम

आप जानना चाहते होंगे कि नगर निगम कैसे काम करती है। तो हम आपको बताएंगे कि जन प्रतिनिधि और सरकारी अधिकारी कैसे चुने जाते हैं। उनका कार्यकाल क्या है आदि।

जनता के प्रतिनिधियों Public Representatives

एक नगर निगम में जनता के प्रतिनिधियों का एक समूह होता हैं, जो नगर निगम के अंतर्गत आने वाले सारे कार्यों, समस्याओं, आदि का प्रतिनिधित्व करते हैं।

प्रत्येक नगर निगम में नागरिकों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि होते हैं। ये प्रतिनिधि मताधिकार द्वारा चुने जाते हैं। नगर निगम के लिए पार्षदों की संख्या सरकार द्वारा तय की जाती है। कुछ स्थान विशेष जातियों के लिए आरक्षित हैं।

कुछ विशिष्ट पार्षद भी चुने जाते हैं। ये विशिष्ट पार्षद जनता के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं। हर 9 पार्षद में एक विशिष्ट पार्षद होता है। पार्षद होने के लिए पागल या दिवालिया होना आवश्यक नहीं है और न ही महानगर पालिका के किसी लाभ के पद या सरकारी नौकरी में।

प्रत्येक नगर निगम में एक नगर निगम प्रमुख और एक ऊपरी नगर निगम प्रमुख होता है। नगर निगम प्रमुख के चुनाव के लिए नगर निगम का निर्वाचित सदस्य होना आवश्यक नहीं है।

इसके लिए निम्नलिखित योग्यता होनी चाहिए

  1. उसकी आयु 30 वर्ष से कम न हो।
  2. उसमें सभापद के लिए उल्लिखित योग्यताएँ हों।
  3. यदि वह सभापद अथवा विशिष्ट सभापद होने के लिए निर्वाचन में हार गया हो तो उसके बाद से 6 माह का समय बीत चुका हो।

नगरप्रमुख का चुनाव 1 वर्ष के लिए होता है. इसके अतिरिक्त एक उप-नगरप्रमुख होता है जिसका कार्यकाल Municipal Corporation कार्यालय के बराबर अर्थात् 5 वर्ष होता है।

मेयर (Mayor): पांच साल, जनता द्वारा सीधे चुनाव

नगर निगम परिषद के प्रमुख और परिषद में मेयर। नियमों और विनियमों में अधिकारों की सीमा। शहर के पहले नागरिक के रूप में ऊंचा दर्जा।

➤ अध्यक्ष (President): कार्यकाल पांच वर्ष, चुनाव पार्षदों द्वारा

नगर निगम परिषद् के स्पीकर। मेयर की सहमति से निगम परिषद् की बैठक बुलाते हैं। बैठक की अध्यक्षता करते हैं। इस बैठक में तय एजेंडे पर निर्णय लिए जाते हैं।

➤ मेयर इन कौंसिल (Mayor in Council): मेयर द्वारा मनोनयन

महापौर का मंत्रिमंडल माना जाता है। मेयर इसके सभापति होते हैं। न्यूनतम पांच और अधिकतम 11 सदस्य शामिल होते हैं, जिन्हें विभिन्न समितियों का प्रभारी बनाया जाता है।

60+ पार्षद (Ward Commissioner)

कार्यकाल पांच वर्ष, चुनाव सीधे जनता द्वारा।

सरकारी अधिकारी – Government Officer

एक नगर निगम में सरकारी अधिकारी भी शामिल होते हैं, जो नगर निगम के अंतर्गत आने वाले कार्यों का समीक्षा करते हैं। प्रत्येक महानगर पालिका के लिए राज्य सरकार एक मुख्य प्रशासकीय अधिकारी की नियुक्ति करती है।

यह एक बहुत ही अनुभवी अधिकारी होता है. इसकी नियुक्ति तीन वर्ष के लिए की जाती है और बाद में इसकी कालावधि को बढ़ाया भी जा सकता है। महानगर पालिका, मुख्य प्रशासकीय अधिकारी के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास करके उसे हटा भी सकती है। Bettiah Nagar Nigam

महानगर पालिका की कार्यपालिका शक्ति इसी अधिकारी के हाथ में होती है. मुख्य लेखा परीक्षक को छोड़कर अन्य सभी अधिकारी उसके नियंत्रण में कार्य करते हैं. मुख्य नगर अधिकारी के अतिरिक्त महानगर पालिका में अन्य कर्मचारी भी होते हैं जिनमें प्रमुख हैं: उपनगर अधिकारी, सहायक नगर अधिकारी, नगर अभियंता, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, मुख्य नगर लेखा परीक्षक.

➤ नगर निगम आयुक्त: Municipal Commissioner Commissioner

भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, नगर निगम के अमले का प्रशासनिक मुखिया। अधिकारों से संपन्न। शासन से मिलने वाले आदेशों और निर्णयों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी इन्हीं की होती है।

➤ उपायुक्त – Deputy Commissioner

प्रशासनिक नियंत्रण के लिए जोन व्यवस्था आयुक्त के अधीन काम करते हैं और उनके द्वारा सौंपे गए दायित्वों को पूरा करने की जिम्मेदारी इन्हीं की है। कुछ अधिकारी राज्य प्रशासनिक सेवा के भी होते हैं।

नगर निगम मेयर एवं आयुक्त को कितनी अधिकार

अब हम जानेंगे के नगर निगम के मेयर एवं आयुक्त को सरकार द्वारा कितना छूट या यूँ कहें की, उनको कितना अधिकार मिलता हैं।

इतने पैसे दे सकते हैं

  • तीन लाख से अधिक आबादी वाले नगर निगमों में महापौर परिषद् सीधे तौर पर 15 लाख रुपए तक की लागत के कार्यों के लिए मंजूरी दे सकती है। तीन लाख से कम आबादी वाले शहरों के लिए यह सीमा 10 लाख रुपए तक है।
  • नगर निगम कमिश्नर को पांच लाख तक के कार्यों की स्वीकृति का वित्तीय अधिकार प्राप्त है। इससे अधिक राशि के प्रस्तावों के लिए उन्हें महापौर परिषद से अनुमोदन प्राप्त करना होता है।

ये कर सकते हैं

  • मेयर अपनी कैबिनेट यानी मेयर इन काउंसिल (एमआईसी) का गठन करते हैं।
  • निगम अध्यक्ष कार्य करने में असमर्थ हो तो महापौर कभी भी विशेष समेलन बुला सकते हैं।
  • अपने कार्यालय के अमले पर प्रशासकीय नियंत्रण।
  • महामारी या आपदा की स्थिति में ऐसे काम के लिए निर्देश दे सकते हैं जो तत्काल जरूरी हो।
  • कई मामलों में मेयर को मेयर इन कौंसिल अपने अधिकार भी सौंप सकती है।

इस तरह करवाते हैं काम

  • महापौर, एमआईसी या निगम परिषद् द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी नगर निगम आयुक्त की रहती है।
  • महापौर अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले कार्य का प्रस्ताव बनाकर नगर निगम आयुक्त को भेजते हैं। आयुक्त द्वारा प्रस्ताव के मुताबिक उस पर अमल प्रक्रिया शुरू की जाती है। अब शासन ने आयुक्त को अधिकारिता के मुताबिक कलेक्टर या शासन को सीधे प्रस्ताव भेजने की छूट भी दे दी है।

निगम होंगे जिम्मेदार

  • शासन कानून में नगर निगम की जिम्मेदारियों के रूप में अनिवार्य व विवेकाधीन कर्तव्यों का उल्लेख है। हालांकि अधिनियम में यह भी साफ किया गया है कि इन कर्तव्यों का पालन नहीं करने पर निगम के किसी पदाधिकारी या पार्षद से क्षतिपूर्ति नहीं मांगी जा सकती या उनके खिलाफ अदालत में कोई वाद दायर किया जा सकता है।
  • मुखिया के नाते नगर निगम की जिम्मेदारियों को पूरा करवाना महापौर का दायित्व है।

निगम को हर हाल में करवाने होते हैं ये काम

  • वार्डों में साफ-सफाई के इंतजाम करवाना।
  • पानी सप्लाई की व्यवस्था सुनिश्चित करना।
  • सड़कों पर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था।
  • बिल्डिंग बनाने की अनुमति देना।
  • कांजी हाउस की स्थापना और संचालन।
  • आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की व्यवस्था।
  • खतरनाक भवनों को सुरक्षित करना या हटाना।
  • सड़कों का नामकरण और घरों की नंबरिंग करना।
  • एंबुलेंस सेवा को व्यवस्थित रखना।
  • प्राथमिक स्कूल खोलना और उन्हें चलाना।
  • सड़कों पर यातायात चिह्नों की व्यवस्था।
  • शहर में गार्डन और बगीचों का रखरखाव करना।
  • स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था करना।
  • सार्वजनिक शौचालय उपलब्ध करवाना।
  • इत्यादि।

विभिन्न समितियाँ

नगर महापालिकाओं के दिन-प्रतिदिन के कार्य-भार को हल्का करने के लिए कुछ समितियों का गठन किया जाता है।

इन समितियों में मुख्य हैं:

  1. कार्यकारिणी समिति: कार्यकारिणी समिति में 12 सदस्य होते हैं जिनका निर्वाचन महानगर पालिका अपने सभासदों एवं विशिष्ट सभासदों में से करती है। इस समिति का अध्यक्ष उप-नगरप्रमुख होता है. यह समिति महानगर पालिका के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए उत्तरदायी होती है।
  2. विकास समिति: विकास समिति में भी 12 सदस्य होते हैं. इसमें 10 सदस्य सभासदों और विशिष्ट सभासदों में से निर्वाचित होते हैं।

हमें उम्मीद हैं, की अब आपको बेतिया नगर निगम (Bettiah Nagar Nigam) बनने से मिलने वाली सुविधाएँ एवं नगर निगम कैसे कार्य करता हैं, इसके बारे में आप अच्छे से समझ गए होंगे, अगर आपको हमारा ये बेतिया नगर निगम Bettiah Nagar Nigam वाले आर्टिकल से संबंधित कोई प्रश्न हो तो कृपया कमेंट बॉक्स में लिख हमें अवश्य ही बताएं – धन्यवाद

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