नगर के ऐतिहासिक सभी मंदिरों में सूर्य नारायण की स्थापित भव्य प्रतिमा यह प्रमाणित करती है कि बेतिया राज के महाराजा शिव, शक्ति व सूर्यदेव के उपासक थे।
महाराजाओं ने सभी मंदिरों के सामने आवश्यक रूप से पोखरे खोदवाए। यहीं कारण कई लोग बेतिया शहर को भुनेश्वर के बाद पोखरों और मंदिरों का शहर मानते है। सूर्यदेव, पोखरा से सीधा संबंध छठ पूजा से भी जुड़ा हुआ है। विद्वानों का मानना है कि बेतिया महाराज छठ पूजा उत्सव में धूमधाम के साथ शामिल होते थे। बता दें कि नगर के ऐतिहासिक कालीबाग में भगवान सूर्यनारायण की भव्य मंदिर है। जहां उनकी उपासना के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
नगर का ऐतिहासिक दुर्गाबाग, सागर शिवमंदिर, पिउनीबाग बसवरिया शिवमंदिर तथा लाल बाजार स्थित जोड़ा शिवालय में भी भगवान सूर्य नारायण की खुबसूरत और भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है। जानकारों के अनुसार हर मंदिरों में सूर्य नारायण की प्रतिमा का स्थापित होना अपने आप में अनोखा है। जानकार यह भी बाते है कि सूर्य मंदिर और सूर्य नारायण की प्रतिमा बिरले ही देखने को मिलती है। बेतिया राज के हर मंदिरों में सूर्यनारायण की प्रतिमा होना यह इस मान्यता को बल देता है कि बेतिया राज के राजा-महाराजा के अलावा यहां की जनता सूर्य शक्ति और सूर्य आराधना में अटूत विश्वास रखते है।
आचार्य सुनील तिवारी के अनुसार सूर्य देव की दो भुजाएं है। वे कमल के आसन पर विरजमान रहते है। उनके दोनों हाथ कमल से सुशोभित है। उनके सिर सुंदर स्वर्ण मुकुट तथा गले में रत्नों की माला है। उनकी कांति कमल के भीतरी भाग की सी है और वे सात घोड़ों की सवारी करते है। आचार्य मंकेश्वरनाथ तिवारी के अनुसार सूर्य देव का एक नाम सविता भी है। जिसका अर्थ है सृष्टि करने वाला।