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यहां की साफ-सफाई सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गई हैं। दो महीने पहले सोशल नेटवर्कों से लेकर बेतिया के अखबारों तक बेतिया एकदम बदल चुका था, हालांकि फिलहाल मैं जनवरी शुरू से अंत तक का ही बात कर रहा हूँ जब स्वच्छता अभियान का जाँच करने दिल्ली से टीम आई थी। और अगर जमीनी स्तर पर बात करें तो हाँ..तब बेतिया में ऐसी सफाई थी कि आप जैसे ही कूड़ा फेंकते, सफाई कर्मचारी उसे साफ कर देते थे। दिन में तीन बार झाड़ू लगती थी सड़को पर, बेतिया के चप्पे चप्पे में गंदगी शायद ही कहीं दिखने को मिलती थी तब, शायद आप यकीन ना करें लेकिन एक प्लास्टिक का थैली भी कहीं गिरा नहीं दिखता था, सबका तो नहीं बोलेंगे लेकिन हम अंदर ही अंदर गदगद हुआ फिरते थे कि अब तरक्की करेगा मेरा शहर। लेकिन जबसे स्वच्छता जांच वाली टीम गयी, लगता हैं जैसे बेतिया में कभी झाड़ू तक नहीं लगा। और हद्द तो ये भी हैं कि बेतिया में मच्छरों का प्रकोप अपने चरम स्तर पर हैं, लोग सोशल नेटवर्क पर ही अपनी बात कह सकते हैं। (क्योंकि नप खुद से बात करने के लिए कोई सम्पर्क साधन नहीं दिया), सोशल नेटवर्क पर प्रतिदिन स्थानीय लोग फॉगिंग को लेकर बातें करते हैं, पोस्ट डालते हैं, और शहर के जिम्मेदार लोगों/अधिकारीयो/प्रतिनिधियों से फॉगिंग करवाने की दरखास्त करते दिख रहे हैं, किन्तु नप या कोई अभी तक फॉगिंग करवाने के मूड में नहीं दिख रहा।
सच मानिए.. आप नगर परिषद क्षेत्र के किसी मोहल्ले में निकल जाइए यहां कूड़े कचरों के अंबार से सामना होगा।
kishun bagh chowk |
नाक पर रूमाल रखकर कचरों को पार करना नगरवासियों की विवशता बन गई हैं। कहने के लिए तो सफाई के मामले में नगर परिषद काफी सजग हैं, लेकिन जमीनी हकीकत ठीक इसके उलट हैं। नप क्षेत्र के एक दो वार्ड को छोड़ अधिकांश में गंदगी का अंबार हैं। नालियों के गंदे पानी सड़क पर बह रहे हैं। जिस कारण शहरवासियों का जीना मुहाल हो चुका हैं। शहर के कई ऐसे वार्ड हैं जहां कचरों का सड़ांध लोगों की परेशानी का शबब बना हुआ हैं। यहां जाना तो दूर लोग झांकना भी नहीं चाह रहे हैं। साफ-सफाई यहां नियमित होती हैं लेकिन कर्मियों पर विभागीय लगाम नहीं होने के कारण सफाई कर्मी अपना कोरम पूरा कर लेते हैं। नतीजतन गंदगी ज्यों की त्यों बरकारार हैं। मजे की बात तो यह हैं कि डपिंग स्थल पर हफ्तों तक कूड़े पड़े रहते हैं उन्हे कोई हटाने वाला तक नहीं मिलता हैं। हालांकि साफ-सफाई को लेकर नगर परिषद की ओर से हर रोज बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, कहने को 1.50लाख रोज बेतिया के सफाई में लुटाएं जाते हैं, लेकिन सच्चाई क्या हैं इसकी बानगी कई मोहल्लों के भ्रमण के दौरान सहज ही देखा जा सकता हैं। कमलनाथ नगर में विगत दो सप्ताह से सड़क पर नाली का पानी लोगों के लिए मुसीबत बन गई हैं।
kamalnath nagar |
खास कर स्कूली बच्चों के लिए। आलम यह हैं कि अभिभावक इन बच्चों को गोद में लेकर सड़क पार करा रहे हैं। यहां तो नाली का पानी घरों में तक घुस गया हैं। हद तो यह है कि एक नाले की मरम्मत क्या शुरू हुई लोगों का जीना ही मुहाल हो गया। हालांकि यह हाल मिर्जा टोला में भी बरकरार हैं। एनएच 28B से मोहल्ले में घुसने के दौरान लोगों को नाली के पानी को पार कर जाना पड़ रहा हैं।