बगहा: वर्षो से उपेक्षित गंडक बराज के पार्क के जीर्णोद्धार की योजना है। वाल्मीकि नगर विधायक धीरेंद्र प्रताप इस ऐतिहासिक पार्क के जीर्णोद्धार के साथ साथ सौंदर्यीकरण के लिए प्रयास किया है। उनके प्रस्ताव के बाद विभागीय स्तर सुगबुगाहट आरंभ हुई है। विधायक ने बताया कि गंडक बराज का निर्माण सन 60 में हुआ था। उसी वक्त ऐतिहासिक गंडक बराज पार्क का निर्माण भी हुआ। इस पार्क का दीदार करने के लिए यहां देशी विदेशी पर्यटकों की भारी भीड़ जुटती थी । यहां पानी के फब्बारे एवं रंग बिरंगे फूल हुआ करते थे। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु एवं नेपाल के तत्कालीन महाराजा बीरेंद्र बीर बिक्रम शाह देव के आगमन का गवाह रहा यह पार्क देखरेख के अभाव में अत्यंत खराब स्थिति में है। आज अपने बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर है। इस पार्क के विकास के लिए मैंने प्रस्ताव दिया है। इको टूरिज्म के तहत इसका सौंदर्यीकरण किया जाएगा।
एक दशक पूर्व हुआ था जीर्णोद्धार
गंडक बराज के तत्कालीन सहायक अभियंता अमरेंद्र कुमार पाठक के कार्यकाल में इस पार्क का जीर्णोद्धार किया गया था। उस वक्त इस पार्क की सुंदरता में चार चांद लग गए थे। यहां दूर दराज से आए पर्यटक सेल्फी लेना नहीं भूलते थे। लेकिन श्री पाठक के तबादले के बाद पाक की स्थिति बदतर हो गई। वर्तमान में कोई भी पर्यटक इस पार्क में नहीं जाना चाहता है । क्योंकि यहां गंदगी की अंबार है। इसके रख रखाव की कोई व्यवस्था नहीं है। इस वजह से पार्क पूरी तरह से बेकार हो गया है।
सूर्योदय एवं सूर्यास्त का अद्भुत नजारा
इस की भौगोलिक स्थिति अत्यंत ही सुंदर एवं रमणीक है। एक और गंडक नदी का शांत किनारा है तो दूसरी ओर नियंत्रण कक्ष की शानदार इमारत । साथ में ऐतिहासिक गंडक बराज । नेपाली क्षेत्र में स्थित विशाल पहाड़ का गंडक नदी के शांत पानी में दिखता प्रति¨बब , मानो स्वर्ग धरा पर उतर आई हो। यहां से सूर्योदय एवं सूर्यास्त का नजारा अपने आप में अनूठा है। गंडक बराज के शांत जलाशय में रात्री पहर मे बिजली के बल्ब का प्रति¨बब मुंबई के मैरीन ड्राइव की याद को ताजा कर जाता है। सर्दियों के मौसम में यहां से हिमालय पर्वत श्रृंखला का दीदार कश्मीर की वादियों की याद ताजा कर जाता है। थके-हारे राहगीरों के लिए सकून के पलों को बिताने के लिए यह जगह सर्वोत्तम है।