बेतिया (प०चम्पारण): जनता की बुलंद आवाज बन समाजिक एकता सेवा दल ने आरओबी का मुद्दा पर आर या पार लड़ाई की घोषणा कर दी हैं, बेतिया छावनी ओवरब्रिज प्रयास में जुड़े नवयुवकों तथा समाजिक विकाश से जुड़े लोगों ने समाजिक एकता सेवा दल की गठन की हैं।
समाजिक एकता सेवा दल का मानना हैं के बेतिया साँसद श्री संजय जैसवाल और बेतिया विधायक श्री मदन मोहन तिवारी के राजनितिक फायदे, निष्क्रियता के वजह से बेतिया छावनी ओवरब्रिज का निर्माण आज तक शुरू नहीं हो रहा हैं।
समाजिक दल ने ये ऐलान किया हैं के अगर 2जनवरी तक आरओबी का शिलान्यास नहीं हुआ तो प्रशासन आन्दोलन के लिए तैयार रहे, हाल में ही हुए छावनी जाम में फँसे छात्र को गम्भीरता से लेते हुए समाजिक दल ने कहा के आरओबी के निर्माण ना हो पाने के कारण कई जाने जा चुकी हैं। जिसे अब बेतियावासी बर्दाश्त के मुड़ में नहीं..यहाँ के जनप्रतिनिधियों के लापरवाही और लाचारीपन से आजतक आरओबी का निर्माण नहीं हो पा रही हैं। समाजिक दल ने ऐलान किया के छावनी आरओबी दो या इस्तीफ़ा दो, साथ ही कहा के यदि हमारे निष्क्रिये प्रतिनिधि 2जनवरी तक आरओबी का शिलान्यास नहीं करते तो हम बेतियावासी बाध्य होकर करो या मरो के स्तिथि में चरणबध्य आँदोलन करेंगे। इस आँदोलन में अगर लाठी खाना, जेल जाना, या हर प्रकार के दबाव इत्यादि के लिए तैयार हैं पर अबकी बार झुकेंगे नहीं, और आँदोलन के वजह से उत्पन किसी भी अप्रिये परिस्तिथियों के जिम्मेदार बेतिया साँसद,विधायक और एसपी होंगे। और ये आँदोलन तब तक जारी रहेगी जब तक बेतिया छावनी ओवरब्रिज का शिलान्यास नहीं होगा।
यहाँ हम आपको बता दे के छावनी ओवरब्रिज का निर्माण ना हो पाने के कारण आधी से ज्यादा शहरवासी तथा जिले/जिले से बाहरवाले, भारी भीड़/जाम से परेशान हैं। और इस कारण अभी तक कईयों की जान जाम में फंसे होने के कारण जा चुकी हैं, छावनी ओवरब्रिज के मुद्दे पर स्थानिये साँसद संजय जयसवाल तथा विधायक मदन तिवारी आरओबी की निर्माण ना हो पाने में पेंच फँसाने का ठीकरा एक-दुसरे पर फोड़ते रहते हैं।
छावनी ओवरब्रिज पर कई सालों से गंदी राजनीति होती चली आ रही हैं, जिसे अब बेतियावासी कतई नजरअंदाज नहीं करना चाहते, जिले का मुख्यालय होने के कारण जिले के अनेकों गावों/टावन इत्यादि जगह से आने वाले लोग भी छावनी ओवरब्रिज बनवाने के लिए आवाजें उठा रहे हैं। सालों पहले पास हुई ब्रिज और पिछले 30मार्च को मिले NOC के बावजूद कार्य ना शुरू हो पाने का जवाब जब भी लोग स्थानीये साँसद और विधायक से माँगती हैं तो दोनों एक-दुसरे पर इल्जाम लगा इस मुद्दे को लम्बा खींच लोगो को गुमराह कर देने का जो गन्दा राजनीति खेल रहे हैं, उसे ना अब बेतियावासी सहने के मुड़ में दिख रहे हैं, ना ही जिले के लोग..
आलम ऐसा हैं के छावनी का नाम सुनते ही जाम तो मानो जिन्दगी का एक अहम हिस्सा लगने लगा हैं। लोग ना सही वक़्त पर अपने दफ्तर पहुंच पाते हैं, ना बच्चे स्कुल।
रोजाना छावनी महाजाम में अप्रिये घटनाओं का ज्यादातर पढ़ने वाले बच्चे शिकार हो रहे हैं।
समाजिक एकता दल ने इस आँदोलन में ज्यादा से ज्यादा बेतियावासियों को साथ जुड़ने की अपील की हैं,
साथ ही एक कमप्लेट छपवा बेतियावासियों/जिलावासियों को जगाने के लिए बाँट ज्यादा से ज्यादा बेतियावासियों/जिलावासियों तक इस आँदोलन का समर्थन करने के लिए अपील करने का निर्णय लिया हैं।