क्यूंकि, अपने बेतिया शहर में इससे पहले किसी अन्य युवक्ति या औरत ने इस कार्य में पहले कदम नहीं रखा हैं, बेतिया के इस बेटी का नाम संजना हैं जो दसवीं की छात्रा हैं, लेकिन जीवन के कठिन संघर्ष में परिवार का भर भी संजना को उठाना पड़ रहा हैं,
उसे इस ठंडी मौसम में भी लोगो के घर घर जा कर उनके दरवाजो पर अख़बार पहुँचाना पड़ता हैं..पर इतनी कठिनाई भी संजना के हौसलों को डगमगा ना पाई, करीब दो सालो से निर्धारित समय पर सैकड़ो लोगो के घर पर अखबार के माध्यम से अपनी उपस्तिथि दर्ज कराती आ रही हैं,
नगर के शांतिनगर के संजय प्रसाद अख़बार बेच कर अपनी जीविका चलाते हैं.. उनके दो पुत्र एवं दो पुत्रिया हैं..दो साल से संजय प्रसाद की तबियत खराब होने के बाद घर का भार संजना ने उठाया, संजना घर में सबसे बड़ी बहन हैं, संजना केपी है स्कुल की दसवीं की छात्रा भी हैं, संजना एक होनहार छात्रा भी हैं, दो साल पहले राजकीय मध्य विधालय लालबज़ार से जब आठवीं की कक्षा में से पास की तो इसकी ईच्क्षा आगे पढ़ने की हुई,
समय निकाल कर पढ़ाती हैं भाई बहनो को
संजना से छोटी बहन खुसी अभी पांचवीं में पढ़ती हैं उससे छोटा भाई शिवम कुमार संत जोशेफ स्कुल के एलकेजी तथा उससे छोटा
भाई सत्यम उज्जैन टोला के आंगनबाढ़ी में पढ़ता है, सुबह अख़बार बाँटने के बाद स्कुल के आने के बाद समय निकल कर बहन भाइयो को भी पढ़ाती हूँ ताकि भविष्य में वो उच्च शिक्क्षा ग्रहण कर सकें,
किसी ने तरस खाई तो किसी ने किया हौसले को सलाम
कालीबाग की शिक्षिका पूनम पटेल ने बताया के जब पहली बार संजना उनके घर अख़बार देने आई तो उसको देख कर काफी तरस आया, फिर उनको पता चला के गरीबी के वजह से एक लड़की को काम करना करना पड़ रहा हैं, उसके बाद उन्होंने अपने आसपास के लोगो से कहा के संजना से ही अख़बार लिया करे,
उधर उत्तरवारी पोखरा के अनेक लोगों ने बताया के विषम परिस्तिथि में अपने परिवार की जीविका चलने हेतु संजना का काम किसी बहादुरी से कम नहीं, उसके लगन और मेहनत को प्रणाम