बेतिया में इंदौर मॉडल पर बनेगा कूड़ो-कचड़ो से खाद, यहाँ लगेगा प्लांट..

बेतिया: नगर परिषद् इंदौर मॉडल को अपना कर शहर के कचरों से जैविक खाद का निर्माण करेगा। जिससे नप क्षेत्र में रोज जमा होने वाले कचरों के सही प्रबंधन के साथ उन्हें फिर से उपयोगी बनाया जा सके। नगर विकास विभाग के निर्देश पर नप के ईओ डा.विपिन कुमार ने नेतृत्व में एक अध्ययन दल मध्य प्रदेश के इंदौर नगर निगम के प्लांटों को देख कर लौटा है। ईओ डा. कुमार ने बताया कि नगर के झिलिया में अवस्थित नप की करीब 3 एकड़ जमीन के अलावे बाजार समिति परिसर में भी एक वर्मी प्लांट की कार्ययोजना बनाई जा रही है। बाजार समिति परिसर की जमीन पर इस प्लांट को लगाने को ले एसडीएम सुनील कुमार से एनओसी प्राप्त कर ली गई है। वर्मीकंपोस्ट निर्माण का प्राक्कलन तैयार किया जा रहा है। इधर नप के अभियंता सुजय सुमन ने बताया कि इस वर्मी प्लांट के लिए 10/8 की लंबाई-चौड़ाई व 3.5 फीट की गहराई वाले 5-5 हौजों का निर्माण प्रथम चरण में झिलिया व बाजार समिति परिसर में किया जाएगा। प्रत्येक यूनिट को तैयार करने पर करीब 12 लाख की लागत आएगी। निविदा प्रक्रिया के माध्यम से इसका आवंटन सक्षम एजेंसियों किया जाएगा। जिसके नप क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षा के साथ आय का एक नया स्रोत्र भी बनेगा।

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बेकार पड़ी है 34 लाख की मशीन

जुलाई 2016 में 34.35 लाख से खरीदे गए कम्पेक्टर का उपयोग अब तक शुरु तक नहीं हो सका है। एक बार में 8 टन कचरा को कम्पेक्ट करने की क्षमता वाले इस आधुनिक मशीन का उपयोग केवल अब तक गल्वनाईज डस्टवीन की खरीद नहीं हो पाने के कारण यह कंम्पेक्टर करीब एक साल से शोभा की वस्तू बना है। अपनी अनेक कारगुजारियों को लेकर अक्सर चर्चा में आते रहे नगर परिषद् की ओर से 34 लाख से अधिक की यह ख्रिदगी भी चर्चा का विषय रही है।शहर को नीट-क्लीन बनाने के लिए इसकी आपूर्ति का कार्यादेश पटना की एजेंसी सुप्रिम इंटरनेशनल को दिसंबर 2013 में देने के साथ 12 लाख का अग्रिम जारी कर दिया गया। कंपनी से 6 माह के अंदर आपूर्ति का उग्रीमेन्ट विविदा निष्पादन की प्रक्रिया में किया गया था। 

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बावजूद इसके इसकी आपूर्ति में कंपनी को देने में 31 माह से भी अधिक का समय लग गया। उक्त आपूर्ति के साथ ही कंपनी को पूरा भुगतान कर दिया गया। इसके बाद कुछ हजार का डस्टवीन नहीं खरीदे जाने से 13 माह से यह शोभा की वस्तू बना पड़ा है। इसके बावत नप के कार्यपालक पदाधिकारी डा. विपिन कुमार ने बताया कि डस्टवीन खरीद के लिए ई. टेन्डरिंग के माध्यम से निविदा निकाली गई थी। 

लेकिन दावेदारों के टर्नअप नहीं होने से कामयाबी नहीं मिल सकी है। बोर्ड की अगली बैठक में इस पर विचार कर सहज प्रक्रिया अपनाने को लेकर नप बोर्ड की सहमति प्राप्त करने की पहल होगी। इसको लेकर अनेको बार प्रयास के बावजूद सहमती नहीं बन पाने से कम्पेक्टर का उपयोग का रास्ता निकल नहीं पाया है। आठ टन कचरे को एक बार में खपाने वाले इस मशीन की उपयोग अब तक शुुरु नहीं किया जा सकना सही में दुखद है। अब इसकी पहल तेज की गयी है।

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