बेतिया का वो मंदिर जहाँ हर मनोकामना होती हैं पूर्ण..जाने विस्तार से

बेतिया। नगर का ऐतिहासिक दुर्गाबाग मंदिर प्राचीन मंदिरों में सबसे प्रमुख हैं। माता के इस मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों लोग मत्था टेकने आते आते हैं। शारदीय व वासंतीय नवरात्र में यहां मेला जैसा नजारा रहता है। हजारों श्रद्धालु माता के दरबार में आते हैं। सच्चे मन से आये लोग यहां से कभी निराश होकर नहीं जाते हैं। माता अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है।
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मंदिर का इतिहास गौरवशाली
यूं तो कहा जाता है कि दुर्गाबाग मंदिर का निर्माण बेतिया महाराज द्वारा कराया गया है। लेकिन, कुछ श्रद्धालु इस स्थान का संबंध देवासुर संगाम से जोड़कर देखते हैं। नागरशैली की अनुपम कृति दुर्गाबाग मंदिर का संबंध ऋगवेद के देवीसुक्त से भी जोड़ा जाता है। शास्त्र मत के अनुसार माता करूणामयी और ममतामयी है। वे अपने भक्तों की हर प्रकार से रक्षा करती है। कालान्तर में इस मंदिर की व्यवस्था व देखभाल सुगांव के राजाओं द्वारा की जाती है। इसके बाद इस मंदिर का देखभाल बेतिया महाराजों के हाथ में आ गया।

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दुर्गाबाग मंदिर के बबलू झा दुर्गाबाग मंदिर को देवासुर संग्राम से जोड़ते हुए बताते हैं कि पराजित देवता दानवों से पुन: अपने राज्य व पद पाने प्राप्ति के लिए वेत्रवती आरण्य में ऋषि बन कर तपस्या करने लगे। उन्हीं महर्षियों में अम्मृण ऋषि की पुत्री वाक ने भगवती के साथ अभिन्नता प्राप्तकर देवताओं को तथास्तु का वरदान दिया था।
देवी भक्त अनुराग सिंह कहते हैं कि यहां समस्त देवताओं तथा महर्षियों ने अपने तप से इस मंदिर की स्थापना की थी। इस मंदिर की महता दूर-दूर तक विख्यात है। यह मंदिर बेतिया राज की अमूल्य धरोहर है।

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हरेश दूबे कहते हैं बेतिया राज का यह मंदिर काफी जाग्रत है। यहां सच्चे मन से माता की आराधना करनेवालों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। माता के इस मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों लोग माता टेकने आते आते हैं।
आचार्य राधाकांत शास्त्री का कहना है कि दुर्गाबाग का यह मंदिर भक्तों के लिए काफी कल्याणकारी है। माता की आराधना करनेवालों की हर मनोकामना पूरी होती है। नवरात्र में तो यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। आम दिनों में भी यहां भक्तों की आवाजाही व पूजा पाठ जमकर होता है।

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