पचास हजार अभ्यर्थियों को पीछे छोड़ लौरिया की शालिनी ने दिल्ली में बनाया मुकाम

By: Apna Bettiah

On: September 22, 2020

बेतिया: दिल्ली मेट्रो रेलवे कारपोरेशन में टेलकम एंड सिग्नल इंजीनियर के पद पर कार्यरत शालिनी कुमारी आज किसी परिचय का मोहजात नहीं।

पचास हजार अभ्यर्थियों को पीछे छोड़ लौरिया की शालिनी ने दिल्ली में बनाया मुकाम 1

पढ़ाई के जज्बा ने उसको इस मुकाम पर पहुंचा दिया है जहां से उसका भविष्य सुनहला दिखा रहा है। हालांकि उसके राह मे कई रोडे भी आए लेकिन हर बाधा को वह पार ली।

पचास हजार अभ्यर्थियों को पीछे छोड़ लौरिया की शालिनी ने दिल्ली में बनाया मुकाम 2

लौरिया प्रखंड के गोवरौरा निवासी अभय मिश्र की पुत्री सलोनी का शुरू में ही पढ़ाई में तेज थी। बागड़ कुअंर उच्च विद्यालय लौरिया से मैट्रिक उत्तीर्ण करने के बाद सरस्वती विद्या मंदिर बरवत सेना से इंटर पास की। बचपन से ही शालिनी इंजीनियर बनने का सपना देख रही थी। इंटर पास करने के बाद इंजीनियरिंग की तैयारी व पढ़ाई के लिए घर से बाहर निकलना जरूरी था, लेकिन उसके दादा जी उसके दादा जी चंदशेखर मिश्र इसके लिए राजी न थे। श्री मिश्र अपने पंचायत के मुखिया थे और उनका आदेश पत्थर की लकीर की तरह परिवार मे माना जाता था। सम्पन्नता, शान शौकत और सामाजिक प्रतिष्ठा तथा रूतवा लड़की को घर से बाहर भेजने में बाधा के समान था। दादा जी द्वारा अहंकार करने पर शालिनी घर में खुब रोई थी। वह दादा जी से मनुहार पूर्वक झगड़ा भी की, लेकिन वे टस से मस नही हुए। इनकी बात काटने की हिम्मत घर में किसी को नहीं थी, लेकिन बाद में सलोनी के बड़े पापा अधिवक्ता आशुतोष मिश्र मौका देख पिताजी को समझाएं।


 बदलते समय का हवाला दिया। पोती के प्यार के कारण श्री मिश्र पिघल गए और शालिनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने लखनऊ चली गई। आईटी लखनऊ से वष्र 2015 में इंजीनियरिंग पास कर वरिटेक प्राइवेट लिमिटेड में साफ्ट वेयन इंजीनियर के पद पर कार्य करने लगी। शालिनी बताती है कि वहां सैलरी कम था और काम ज्यादा। फिर वह डीएमआरसी की परीक्षा दी।परीक्षा मे करीब 50 हजार अभ्यर्थी थे जबकि सीट मात्र 235 था। शालिनी कहती है कि उसके मन मे डर भी लग रहा था, लेकिन आत्म विश्वास था कि वह सफल जरूर होगी। डर पर आत्मविश्वास भारी पड़ा और सेलेक्ट कर ली गई। आज वह अच्छे पद पर कार्यरत है। शालिनी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मे लगे युवाओं टिप्स देती है कि वे स्टैंडर्ड प्रकाश और अच्छे राइटरो की ही पुस्कतों से तैयारी करे। दिनचर्या का समय तालिका जरूर बनाए और इसे फॉलो भी करे। वह कहती है कि डर को मन पर कभी हाबी न होने दे। अच्छे मैगजीन और समसामयिक खबरों पर भी नजर रखे।


शालिनी के इस उपलब्धि उसके परिवार वाले काफी संतुष्ठ है। उसके दादाजी पूर्व मुखिया चंद्रशेखर मिश्र कहते है कि आज लड़कियां किसी मायने में लड़को से कम नहीं। समाज के लोगों को लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलानी चाहिए। वहीं उसके पिता अभय मिश्र अपनी पुत्री के इस मुकाम से काफी खुश है।

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