लगभग 2-3साल पहने सुनने को आया था के बेतिया के मुख्य जगहों पर बिजली के खंभे हटाकर अंडरग्राउंड तार दौड़ाया जाएगा। ताकि कोई अनहोनी ना हो, ख़ैर..वो तो होने से रहा, लेकिन बेतिया के मुख्य जगहें जैसे लाल बज़ार मीना बज़ार, तीन लालटेन वगरैह में बिजली के पुराने तारों का ऐसा मकड़जाल हैं कि एक बार उसपर नज़र जाता हैं फिर अंदर से एक सहम जाते हैं लोग। ना ही उन तारों पर कोई प्लास्टिक का कवर हैं। लगता हैं के नप/प्रशासन कोई बड़ी अनहोनी होने का इंतेजार कर रहा हैं।
बेतिया: गल्ली मोहल्लों में बिजली की झुलती तारें लोगों के परेशानी का कारण बनी हुई हैं। खास कर शहर के विभिन्न मोहल्लों में।
यहां वर्षो पहले गाड़े गए पोल व लगाए गए तार हर दिन मौत को निमंत्रण दे रहे हैं। शायद ही कोई ऐसा मोहल्ला होगा जहां यह स्थिति नहीं हो। बल्कि कमोवेश हर जगह यही स्थिति हैं। खास कर लाल बाजार, इलमराम चौक, अस्पातल रोड, जनता सिनेमा से कबीवर नेपाली पथ सहित दर्जनों मोहल्ले ऐसे है जहां जर्जर तार लोगों के परेशानी का शबब बना हुआ हैं।
इतना ही नहीं 60 के दशक में गाड़े गए पोल भी आम लोगों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं हैं। इलमराम चौक, इमली चौक सहित लगभग आधा दर्जन ऐसे प्वाइंट है जहां आवासीय कालोनी होने के बावजूद जैसे तैसे पोल व तार दौड़ा दिए गए हैं। यहां थोड़ी सी लापरवाही आम लोगों एवं घर वालों के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो सकता हैं। इलम राम चौक स्थित एक घर के मुख्य दरवाजे पर ही पोल गाड़ दिया गया हैं।
इसको देख सहज कहा जा सकता हैं कि विभागीय अधिकारियों के लिए जान से ज्यादा किमती शायद बिजली हो। हल्की फाल्ट होने पर उक्त पोल में करंट आने की प्रबल संभावना हैं ।इससे गुजरने वाली विद्युत तार भी कम खतरनाक नहीं हैं। यदि घर वालों से थोड़ी सी भी चूक हुई तो उनकी जान पर भारी पड़ सकती हैं।
इसको लेकर कई बार गृह स्वामी विभागीय अधिकारियों से आरजू मिन्नत कर चुके हैं लेकिन विडंबना यह हैं कि अधिकारी आपूर्ति को लेकर सख्त हैं। नतीजतन उन्हे जान माल की कोई ¨चता नहीं। हालांकि शहर में गाड़े गए पोल व तार काफी पुराना हैं।
वर्तमान कार्यपालक अभियंता इस दिशा में कई पहल कर रहे हैं। उनकी ओर से निर्बाध आपूर्ति बहाल करने एवं जर्जर पोल व तार को बदलने के लिए लगातार पहल की जा रही हैं। इसकी मॉनिट¨रग वे स्वयं कर रहे हैं।
उनके योगदान के बाद से काफी बदलाव आया हैं लेकिन लापरवाह अधिकारियों के कारण बहुत कुछ किया जाना शेष हैं।