रामनगर मेँ आजादी के करीब 70 सालों के बाद भी विद्युत से महरूम दोन क्षेत्र के गांवों में बिजली आपूर्ति की बात एक बार फिर खटाई में पड़ गई है। इसके साथ ही इस क्षेत्र में निवास करने वाले थारू आदिवासी बाहुल लोगों की आस एक बार फिर से धूमिल होती दिख रही है। परन्तु इस बात की खुशी है कि बिजली ना सही पर सोलर से इन गांवों को जगमग करने की कवायद जरूर शुरू हो गई है। इसके लिए विद्युत विभाग के परियोजना के तरफ से सर्वे का कार्य भी पूरा करा लिया गया है। जिसकी सूची जिला के हवाले कर दी गई है। इस बार की यह कवायद इस क्षेत्र के लोगों के लिए नई उम्मीद भी है। बता दें कि प्रखंड का दोन क्षेत्र वाल्मीकी व्याघ्र परियोजना के अन्तर्गत दो पंचायतों क्रमश: नौरंगिया व बनकटवा करमहिया के करीब 22 गांवों का समूह है। जिनकी आबादी व मतदाता किसी भी चुनाव में जीत व हार के लिए निर्णायक भूमिका निभाते है। परन्तु इतना कुछ होने व नैसर्गिक सुंदरता से भरपूर इस गांव के लोगों ने आजादी के बाद से आज तक बिजली के दर्शन नहीं कर सके है। जिनके कारण क्षेत्रवासियों को इसका मलाल तो है हीं साथ ही इसे भेदभाव मानते हुए ये अपने आप को अलग थलग महसूस करते है। इसकी मांग भी जोर शोर से उठती रही है। पर आज तक ये संभव नहीं हो सका।
बिजली उपकरणों का इस्तेमाल नहीं कर पाते है लोग
आज जब हम चांद को मापकर वहां बस्ती बसाने का कार्य कर रहें है। चहुंओर विकास की बयार चल रही है। वहीं इस क्षेत्र के लोग अपने आप को जानबूझकर इन चीजों से अलग रखने की बात कर रहे है। ये देश दुनिया का हाल चाल टीवी आदि के माध्यम से बिजली के अभाव में नहीं देख पाते। साथ ही आज के जमाने का सबसे महत्वपूर्ण संचार का साधन मोबाइल भी चार्ज करने में इन्हें चने चबाने पड़ते है।
दो साल पहले हुआ था सर्वे
जब टोलों को विद्युत सुविधा से जाड़ने की बात जोर शोर से उठी तो इस क्षेत्र का भी सर्वे होने लगा। वन विभाग के कानूनी पचड़े में पड़े विद्युत बहाली की जटिल प्रक्रिया की बेड़ियां एक बार टूटती नजर आई। सन 2015 में जोर शोर से अशोका बिल्डिकान कंपनी के माध्यम से सर्वे का कार्य शुरू हुआ। इस सर्वे को लेकर जहां चारो ओर दोन क्षेत्र के गांवों में बिजली बहाली की चर्चा होने लगी। वहीं क्षेत्र के लोगों में खुशी की लहर थी। परन्तु करीब दो साल बीतने के बाद भी इस दिशा में कार्य आगे नहीं बढ़ने से एक बार क्षेत्र के लोंगों में फिर से मायूसी छा गई है।
वन विभाग के झमेले में फंसा है विद्युत बहाली का कार्य
हर बार की तरह इस बार भी वन विभाग के नियम कानून जंगल व वन्य जीवों के नुकसान का हवाला देकर बिजली बहाली की प्रक्रिया को फिलहाल ठंडे बस्ते में बस्ते में डाल दिया गया है। पर खुशी की बात यह है कि इस समस्या को दूर करने के लिए अब इन क्षेत्रों को सोलर लाइट से रौशन करने की कवायद पूरी की जा रही है। इसके लिए दोन क्षेत्र के करीब 18 गांवों का सर्वे कर इससे संबंधित सूची जिला के हवाले कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि पूर्व सहायक विद्युत अभियंता आलोक कुमार ¨सह के कार्यकाल में उन्होने बताया था कि पूर्व के सर्वे को रद्द कर इस क्षेत्र के गांवों में सोलर प्लांट के माध्यम से विद्युत बहाली के लिए सभी गांवों का सर्वे कराकर इससे संबंधित रिर्पोट भी जिला में भेज दी गई थी।
स्रोत-दैनिक जागरण