बेतिया: पश्चिम चम्पारण के सबसे पुराने महारानी जानकी कुंअर महाविद्यालय,बेतिया में हजारों छात्र-छात्राएं एकलव्य की तरह शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
कई तो डिग्री के बाद विविध क्षेत्रों में अपनी सेवाएं भी दे रहे हैं। यहां के कई विभाग बिना शिक्षक के चल रहे हैं। छात्र है पर शिक्षक नहीं। फटाफट डिग्रियां निकल रही हैं। छात्र नामांकन में करा रहे हैं। कॉलेज में इंटर से लेकर एमए तक की पढ़ाई का सरकारी दावा है। नामांकन व निबंधन नियमित है। परीक्षाएं भी हो जाती है। छात्र-छात्राएं परीक्षा भी पास कर जाते है। मगर शिक्षकों से सभी विषयों की पढ़ाई नहीं हो पाती। यहां नामांकित छात्र ट्यूशन व गेस पेपर की बदौलत ज्ञान अर्जन की कवायद में है।
दीगर बात है कि अभिभावक दोहरे आर्थिक शोषण के शिकार हैं। कई विषयों में शिक्षक नहीं होने के बाद कॉलेज प्रबंधक छात्रों से ट्यूशन शुल्क भी वसूल करता है। जबकि, इन विषयों में क्लास कभी नहीं संचालित होती। यह स्थिति पिछले दो दशक से कायम है। कॉलेज 1955 से संचालित हो रहा है।
छात्रों की पहली पसंद है कॉलेज
प्रतिष्ठित कॉलेज की भव्य बिल्डिंग, चाक-चौबंद व्यवस्था छात्रों के आकर्षण का केंद्र रहता आया है। मैट्रिक पास कर छात्र बड़े उत्साह से यहां नामांकन के प्रयास में जुट जाते है। बाद में पता चलता है कि जिस विषय में नामांकन लिए है, उसमें पढ़ाने वाले कोई शिक्षक है ही नहीं। ऐसे में भविष्य के प्रति बच्चों की चिंता लाजिमी है। जिले में एक यह एकमात्र कॉलेज है, जहां इंटर से स्नातकोत्तर की पढ़ाई होती है। मजे की बात है कि स्नातकोत्तर तक के पढ़ाई वाले विषय में भी एक भी शिक्षक नहीं है।
छह विषयों में स्नातकोतर की शिक्षा
कॉलेज में हिन्दी, इतिहास, अंग्रेजी, भूगोल, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र में स्नातकोत्तर तक की शिक्षा की अनुमति है। जबकि यहां राजनीति शास्त्र, भूगोल, इतिहास विभाग शिक्षक विहीन है। हिन्दी में पांच के बदले एक, अंग्रेजी में छह के बदले दो शिक्षक, इंटर से स्नोतकोत्तर तक की क्लास कैसे लेते होंगे यह अंदाजा लगाया जा सकता है। कई विषयों में शिक्षकों की घोर कमी है। यहां स्वीकृत पदों के बनिस्पत मात्र एक तिहाई से भी कम शिक्षक कार्यरत है।
कई विषयों में है शिक्षक का टोटा
कॉलेज में संस्कृत, राजनीतिशास्त्र, भूगोल, वनस्पतिशास्त्र, म्यूजिक, इतिहास आदि विषयों में एक भी शिक्षक नहीं है। जबकि जन्तुशास्त्र, रसायन, भौतिकी, हिन्दी, अंग्रेजी आदि विभाग एक ही शिक्षक के बदौलत संचालित हो रहा है। वहीं अंग्रेजी में छह के बदले दो, हिन्दी में पांच के बदले एक, भौतिकी में पांच के जगह पर एक, रसायन में सात के जगह पर एक, जंतुविज्ञान में तीन के जगह पर एक शिक्षक ही कार्यरत है। कॉलेज में करीब 12 हजार छात्र नामांकित है। ऐसे में उनकी पढ़ाई कैसे होती होगी सहज अंदाज लगाया जा सकता है।
बिना प्रदर्शक के ही संचालित होती प्रायोगिक कक्षाएं
कॉलेज में रसायन शास्त्र, भौतिकी, गणित, जन्तु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, संगीत, मनोविज्ञान में स्नातक स्तर तक की पढ़ाई होती है। आश्चर्य है कि प्रायोगिक कक्षाएं के लिए कॉलेज में एक भी डोमेस्टेटर नहीं है। ऐसे में प्रायोगिक कक्षाओं का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
बोले छात्र
इंटर की छात्रा नेहा कुमारी, प्रियंका कुमारी, शिल्पी कुमारी, छात्र मयंक कुमार, आयुष गौतम, स्नातक के छात्रा अंजना कुमारी, गुड़िया कुमारी, स्नातकोत्तर के छात्र मधुरेश द्विवेदी, दिवाकर पांडेय, शिवजी प्रसाद ने कहा कि नामांकन के समय उनसे नहीं बताया गया कि जिन विषयों में नामांकन ले रहे उन विषय में पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं है। पढ़ाई नहीं होने के बाद भी कॉलेज प्रशासन ट्यूशन फी वसूल करता है, जो गैरवाजिब है। प्राचार्य से शिकायत करने के बाद भी उसका कोई नहीं निदान नहीं निकलता। मजबूर होकर उनको को को¨चग से कोर्स की तैयारी करनी पड़ती है।
गर्ल्स कॉमन रूम बना विषैले कीड़ों का आश्रय स्थल
बेतिया। नगर के महारानी जानकी कुंअर महाविद्यालय में करीब छह हजार छात्राएं नामांकित हैं। लड़कियों की चहलकदमी से कॉलेज गुलजार रहता है। खाली पीरियड में उनके रिफ्रेश होने के लिए गर्ल्स कॉमन रूम बना है, लेकिन आज यह बदहाली के दौर से गुजर रहा है। एक वक्त था जब कॉलेज परिषद के बीचोंबीच बना गर्ल्स कॉमन रूम लड़कियों के खिलखिलाहट से गूंजता रहता था। गर्ल्स कॉमन रूम कैंपस के बीच बने तालाब के स्वच्छ पानी से अटखेलिया कर लड़कियां रिफ्रेश हो जाती थीं। क्यारी में खिले सुगंधित फूलों की महक से पूरी फिजा गमकती रहती थी। अपनी सहेलियों के साथ लड़कियां खाली पीरियड में कॉमन रूम परिसर में लगे पेड़ों की छाव में गपशप करती थीं। लेकिन ये सारी बातें अब पुरानी हो गई है। कारण कॉमन रूम बदहाली के दौर से गुजर रहा है। कॉमन रूम का पूरा परिसर झाड़ झंझाड़ से भरा पड़ा है। बड़े-बड़े खरपतवार से कॉमन रूम आच्छादित हो गया है, जिसे विषैले कीड़ों ने अपना आश्रय बना लिया है। विषैले कीड़े-मकोड़े, सांप, बिच्छू आदि के भय से लड़कियां परिसर में घूमने से कतराती है। उनमें डर बना रहता है, हालांकि कॉमन रूम का बिल्डिंग जरूर अपटूडेट है, लेकिन इसमें भी लड़कियों को न अखबार मिलता है और न ही ज्ञानवर्द्धक पत्रिकाएं।
शौचालय की स्थिति भी काफी खराब है। एमजके कॉलेज की छात्रा नेहा कुमारी, प्रिया कुमारी, शिल्पी कुमारी, गुड़िया कुमारी, प्रियंका कुमारी, रूबी कुमारी ने बताया कि कॉमन रूम की बदहाली के कारण उनमें भय बना रहता है। कॉलेज में उनके बैठने और रिफ्रेस होने के लिए दूसरी कोई जगह नहीं है। कॉमन रूम से बाहर बैठने पर आवारा टाइप के लड़के उनको घूरते रहते है जिस वजह से वे कॉमन रूम में ही बैठना मुनासिब समझती है, लेकिन यहां की व्यवस्था इतनी खराब हो चुकी है कि कामन रूम में आने से डर लगता है पर उनके पास दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है। कॉमन रूम परिसर की साफ-सफाई के लिए कई बार प्राचार्य से भी शिकायत भी की जा चुकी है, लेकिन इसका कोई असर नहीं है।
गर्ल्स कॉमन रूम की समय-समय पर साफ-सफाई कराई जाती है। अभी कुछ ही दिन पहले इसकी पूरी सफाई कराई गई थी। एक बार फिर से इसकी सफाई कराई जाएगी।-डा. विजय शंकर पांडेयप्रभारी प्राचार्यएमजेके कॉलेज बेतिया।
अतिक्रमण से एमजेके कॉलेज के वजूद पर खतरा
बेतिया। बेतिया राज के अंतिम महारानी जानकी कुंअर के नाम पर स्थापित महारानी जानकी कुंअर महाविद्यालय की पहचान न सिर्फ एक कॉलेज के रूप में है बल्कि इसे जिले की एक धरोहर के रूप में भी जाना जाता है। लेकिन आज एमजेके कॉलेज के वजूद पर खतरा मंडरा रहा है। अतिक्रमणकारियों के लगातार पैर पसारने की वजह से कॉलेज का परिसर सिकुड़ता जा रहा है। कॉलेज की भूमि पर प्रतिदिन बड़ी-बड़ी अट्टालिका खड़ी हो रही हैं। कॉलेज प्रशासन इस मामले में स्वयं को असहाय पा रहा है। अतिक्रमकारियों पर लगाम के लिए प्राचार्य डा. विजय शंकर पांडेय दो-दो बार एमडीएम को पत्र भेज कार्रवाई का अनुरोध कर चुके है। बावजूद प्रशासन मौन धारण किए हुए है। अगर यहीं स्थिति रही तो समय दूर नहीं जब कॉलेज का एक बड़ा भू भाग अतिक्रमणकारियों के कब्जे में चला जाए।
उत्तर व पश्चिमी छोर से हावी हैं अतिक्रमणकारी कॉलेज की उत्तर व पश्चिमी दिशा में बाउंड्री नहीं है। उधर, कॉलेज का तालाब होने से आवाजाही भी कम रहती है। इसका फायदा अतिक्रमणकारी उठाते हैं। मिट्टी गिरा कर तालाब को अतिक्रमणकारी भर कर आगे खिसकते रहते हैं। कॉलेज की भूमि में कई लोग पक्का निर्माण कर लिए है, जबकि कुछ लोग का निर्माण जारी है। कॉलेज का पश्चिमी द्वार भी अतिक्रमण का शिकार है। कुछ दिन पहले पश्चिमी गेट को बंद कर दिया गया था। गेट बंद होने के बाद इस रास्ते को लोग कब्जा कर लिए है।
प्रशासन में नहीं है सुगबुगाहट अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्राचार्य प्रशासन को कई बार पत्र लिख चुके है। बावजूद इस मामले में प्रशासनिक सुगबुगाहट शून्य है। प्राचार्य जैसे जिम्मेवार पद की ओर से पत्राचार के बाद भी जिस प्रकार प्रशासन मौन धारण किया है उससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम लोगों के आवेदन पर किस तरह कार्रवाई होती होगी। कार्रवाई की बात तो दूर प्राचार्य के त्राहीमाम पत्र के बाद भी कोई वरीय पदाधिकारी अतिक्रमण का जायजा लेना भी उचित नहीं समझा है ताकि अतिक्रमणकारियों मे कुछ डर भी हो सके। नतिजा अतिक्रमणकारी बुलंद हौसले के साथ कॉलेज की भूमि को धीरे-धीरे कब्जा कर रहे है।
छात्रों ने हटा दिया था अतिक्रमण बताया जाता है कि 80 के दशक में अतिक्रमणकारियों ने पश्चिमी भाग के कॉलेज के भूमि को अतिक्रमित किया था। झोपड़ियां बना ली गई थी। लोगों ने चापाकल भी गाड़ लिया था। उस समय कॉलेज छात्रों की चहल पहल से गुलजार रहता था। कॉलेज की भूमि के अतिक्रमण के बाद छात्रों ने ही इसे खाली कराने का निर्णय लिया था और कुछ ही घंटों में छात्रों ने कॉलेज के भूमि पर बनाई गई झोपड़ियां उनाड़ फेकी थी। बिना किसी यंत्र के कई चापाकल को भी उखाड़ डाले गए थे। उस समय प्रशासन की भारी किरकिरी हुई थी।
We represent Articles mostly related to Bettiah City and Champaran. Along with that news, we publish every kind of post, such as history, important alerts, guides, the latest national and international news, local issues, live events, along with facts, etc.