हरिनगर रेलवे स्टेशन के कर्मियों के लिए दशकों पहले रेल महकमे के तरफ से क्वार्टर का निर्माण किया गया था। पर उचित रख रखाव व मरम्मत के अभाव में आज ये सारे कालोनी के मकान जर्जर हो चले है। आलम यह है कि अब इसमें कोई भी कर्मी रहना नहीं चाहता। स्थानीय लोग बताते है कि खंडहर हो चले इन घरों में सांप बिच्छूओं का अड्डा है। सूत्रों से यह भी पता चला है कि रात के अंधेरे में इन क्वार्टर के घरों में असमाजिक तत्वों का अड्डा बना रहता है। दीगर बाद यह है कि साधन सुविधा से भरपूर इस स्टेशन की व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी नरकटियागंज गोरखपुर रेलखंड पर बहुत महत्व है। इस स्टेशन से टिकट के रूप में लाखों रुपये की बिक्री होती है। कई तरह के माल का आना जाना भी हरिनगर रेलवे स्टेशन से होता है। जिसके कारण सभी मालवाहक गाड़ियां भी लगभग इस स्टेशन पर रूकती है।
बुधवार को जब इन जर्जर भवनों की पड़ताल की गई तो इसमें कुछ अनजान लोग रहते पाए गए। उनसे पूछताछ करने उन्होने बताया कि फिलहाल वे इसी जर्जर भवन में रहते है। गौर तलब हो कि इन घरों से ठीक पूरब बने घरों की साफ सफाई की गई है। कारण कि इसमें रेल विभाग के यंत्रिक डिवीजन के स्टॉफ रहते है। परन्तु ठीक इन्ही घरों के पीछे बने मकान अब ध्वस्त होने के कगार पर है। रेल विभाग के भवन निर्माण व मरम्मत का कार्यालय यहां नहीं होना भी इसके अब तक के हालात के लिए जिम्मेदार बताया जाता है। जबकि कई रेलवे स्टेशन व उसके कॉलोनी आज भी गुलजार दिखते है।
इन घरों में कोई कर्मी नहीं रहना चाहता है। अभी जो लोग इसमें रह रहें है। वे लाइन में अस्थायी रूप से कार्य करने वाले मजदूर है। जो कुछ दिनों में चले जाएंगे। यांत्रिक डीविजन के कर्मी रहते है। इसके निर्माण व मरम्मत की किसी तरह की सूचन अबतक नहीं मिली है।
पीएन पांडे, स्टेशन अधीक्षक