बगहा: चंपारण ही नहीं पूरे पूरे बिहार में प्रसिद्ध कलिका माई स्थान सोमेश्वर की सबसे ऊंची चोटी पर माता विराजती है। सिद्ध पीठ के रूप में प्रसिद्ध इस स्थान पर चैत्र नवरात्रों में ही जाने का रास्ता खुलता है। एसएसबी की सुरक्षा व स्थानीय पूजा समितियों के सहयोग से अपने वाले भक्त श्रद्धालुओं को माता का दर्शन हो पाता है। इधर कुछ सालों में इस सिद्ध स्थल पर आने वाले भक्तों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। दूर्गम रास्ते पर करीब 2200 फीट की ऊंचाई पर माता का स्थान है। जहां से नेपाल का चितवन क्षेत्र साफ दिखता है। इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि सोमेश्वर पहाड़ भगवान शंकर के नाम से रखा गया है। जहां चांद भी श्राप वश आकर इस स्थल पर पूजा पाठ व वास कर चुके है। साधक स्थल के रूप में प्रसिद्ध इस स्थान का साधक गुरू रसोगुरू व राजा भतृहरि से भी जोड़कर जाना जाता है। सत्तर के दशक में आम लोगों के पटल पर आए इस सिद्ध स्थल की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। कठिन चढ़ाई के बावजूद भी यहां आने वाले भक्तों की संख्या में दिनोंदिन इजाफा हो रहा है। हालांकि भारत व नेपाल की सीमा होने के कारण एसएसबी की सुरक्षा में भक्त श्रद्धालुओं का चैत्र के नवरात्रों में आना जाना हो पाता है। बाबा नरहिर दास के खोज के परिणाम इस स्थल को आम लोगों के नजर में लाया गया। परन्तु स्थानीय लोगों के पहल व नैसर्गिक सुंदरता से भरपूर इस पीठ को ना तो पर्यटन स्थल का दर्जा मिला और ना ही इस दर्शनीय स्थल तक पहुंचने के लिए सरकारी स्थर पर आज तक ऐसी पहल की गई। इसके बावजूद भी माता के इस दरबार में आने वाले भक्तों को कोई भी बाधा नहीं रोक पा रही है। बढ़ते संख्या के कारण अब स्थानीय लोगों के माध्यम से पूजा समिति बनाकरइस स्थल पर आने जाने वाले लोगों को सुविधा के साथ खाना पानी का इंतजाम किया जाता है|