मझौलिया थाने के शिकारपुर निवासी अधिवक्ता संतोष कुमार शर्मा की ओर से दायर परिवाद की जांच करने के बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी जयराम प्रसाद ने इस आशय का निर्णय लिया है।
न्यायाधीश ने अधिवक्ता संतोष कुमार शर्मा की ओर से दायर परिवाद पत्र के समर्थन में दिए गए शपथ पत्र पर बयान एवं एक अन्य साक्षी प्रकाश कुमार वर्मा की जांच के बाद परिवाद में नामजद अभियुक्त बने प्राचार्य जॉर्ज नेडूमेटम के खिलाफ उपयुक्त धाराओं में संज्ञान लेकर उनके खिलाफ मुकदमे के विचारण का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। आदेश में न्यायाधीश ने कहा है कि साक्षियों की जांच साक्ष्य से परिवाद में नामित एक मात्र अभियुक्त जॉर्ज नेडूमेटम के विरूद्ध भादवि की धारा 341, 323, 420, 406 एवं 295 ए के अंतर्गत प्रथमदृष्टया मामला बन रहा है। न्यायाधीश ने संतोष कुमार शर्मा को वाद के अभियुक्त को नोटिस करने के लिए आवश्यक कागजात दाखिल करने का निर्देश दिया है। मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि अधिवक्ता संतोष कुमार शर्मा अपने पुत्र कुशाग्र हंस का नामांकन कराने के लिए विद्यालय के प्राचार्य के पास गए और उनसे पुत्र का वर्ग छठा में नामांकन करने का आग्रह किया। दो-तीन बार दौड़ाने के बाद प्राचार्य ने संतोष कुमार शर्मा से एक लाख रुपये डोनेशन देने की मांग की। लाचारी में उन्होंने एक लाख रुपये भी दिए और इसकी रसीद की मांग की। रसीद की मांग करने पर प्राचार्य टाल मटोल करने लगे।
तीन अप्रैल 2018 को संतोष कुमार शर्मा प्राचार्य के कार्यालय में गए तब प्राचार्य ने उनसे जिला शिक्षा पदाधिकारी से नामांकन हेतु अनुमति पत्र लाने का सुझाव दिया। वे जब अनुशंसा पत्र लेकर उनके कार्यालय में पहुंचे तो 11 अप्रैल की सुबह बच्चे को लाने की बात कही। निर्देश के अनुसार श्री शर्मा प्राचार्य के कार्यालय में अपने पुत्र कुशाग्र हंस को लेकर पहुंचे तो कुशाग्र के लालाट पर लाल चंदन देख कर प्राचार्य आग-बबूला हो गए और हिन्दू धर्म का अपमान करने लगे। लालाट से चंदन हटाने की शर्त पर नामांकन करने की बात करने लगे। तब संतोष शर्मा ने इसका प्रतिकार किया तो वे मारपीट पर उतारू हो गए। टेबल पर रखे पेन से श्री शर्मा की आंख पर प्रहार कर दिया। आवाज देकर अपने लोगों को बुलाया और अपमानित करते हुए विद्यालय के प्रांगण से धक्का देकर निकलवा दिया। मुकदमे में यह भी खुलासा किया गया है कि डोनेशन के लिए दी गई राशि की मांग करने पर स्कूल प्रबंधन ने उसे लौटाने से इंकार कर दिया।
क्या बोले प्राचार्य
सारे आरोप निराधार हैं। ऐसी कोई बात नहीं है। नामांकन के लिए उनके संस्थान में कई लोग आते रहते हैं, जिनका किसी कारण से नामांकन नहीं हो पाता है वे इसी तरह विभिन्न आरोप लगाते रहते हैं: जॉर्ज नेडूमेटम
स्रोत; दैनिक जागरण