बेतिया स्मार्ट शहरों में ना आया तो अधिकारी भी है जिमेद्दार

By Md Ali

Published On:

Follow Us
बेतिया स्मार्ट शहरों में ना आया तो अधिकारी भी है जिमेद्दार 1


बेतिया: देश के स्वच्छ 500 शहरों का काउंट डाउन शुरू हो चुका है. बेतिया शहर को स्वच्छ शहरों की सूची में शामिल कराने के लिए नगर परिषद कोशिशें कर रही है. हालांकि शहरवासियों से स्वच्छता की उम्मीद लगाये बैठे सरकारी अफसर खुद सफाई के मामले में बेपरवाह और लापरवाह हैं. बात उन सरकारी भवनों और दफ्तरों की हो रही है, जहां या तो शौचालय नहीं है या हैं, तो वह दयनीय स्थिति में हैं.
या फिर ताले लगे हैं. ऐसे हालात में दूर-दराज से इन दफ्तरों में आये लोग खुले में लघुशंका करें तो दोषी कौन है? 

बेतिया स्मार्ट शहरों में ना आया तो अधिकारी भी है जिमेद्दार 2

 बेतिया : स्वच्छता सर्वेक्षण में बेतिया शहर का नाम आते ही शहरवासियों से सफाई में सहयोग की अपेक्षा पाल ली गयी. सफाई के लिए अपीलें शुरू हो गयी. जागरूकता कार्यक्रम चलाने की तैयारी कर ली गयी. कूड़ा-कचरा फेंकने पर जुर्माना का नियम बना दिया गया. लेकिन, हैरत वाली बात तो यह है कि जिन अफसरों की ओर से यह अपीलें की जा रही है, वह खुद इन नियमों को माखौल उड़ा रहे हैं. अन्य महकमे तो दूर खुद नगर परिषद दफ्तर का शौचालय गंदगी की जद में हैं. सफाई महीनों से नहीं हुई है. बदबू इतना ही आम आदमी एक मिनट भी वहां रूक नहीं सकता है.

HD Qualities Files Join Now
Latest Update Join Now

 यह हालात सिर्फ नगर परिषद दफ्तर का ही नहीं हैं. बल्कि सभी सरकारी दफ्तरों की स्थिति एक जैसे ही हैं. इन दफ्तरों में शौचालय तो हैं, लेकिन ज्यादातर शौचालयों में ताला बंद है. जो शौचालय खुले हैं, वह इतने गंदे हैं कि उनका प्रयोग करना बीमारी को दावत देने से कम नहीं है. 
 कलेक्ट्रेट भी इससे अछूता नहीं है. कहने को यहां तीन शौचालय हैं,

लेकिन दो शौचालय में ताला बंद है. एक शौचालय खुला है तो वह गंदगी की जद में है. वह भी तब, जब हर रोज कलेक्ट्रेट में तकरीबन डेढ़ हजार लोग अपना फरियाद लेकर पहुंचते हैं. बावजूद इसके यहां शौचालय की हालत बदतर है. शहर में सफाई अभियान चला रहा नगर परिषद की हालात को देख चिराग तले अंधेरा कहना कत्तई गलत नहीं होगा. यहां भी एक शौचालय में ताला लगा है, दूसरा गंदगी की चपेट में है. विकास भवन, कृषि कार्यालय, शिक्षा कार्यालय, पुलिस कार्यालय, सरकारी हॉस्पिटल, स्कूल-कॉलेज के हालात भी इससे जुदा नहीं है. यहां भी आम लोगों के लिए शौचालय के न तो बेहतर इंतजाम हैं और न ही अफसरों का इसपर ध्यान है.

एमजेके हॉस्पिटल में मरीजों की सांसत, सफाई नहीं
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज सह एमजेके सदर हॉस्पिटल में कहने को तो हर वार्ड में एक-एक शौचालय है, लेकिन वह हमेशा गंदगी से भरा रहता है. दरवाजा खोलते ही बदबू से पूरा वार्ड भर जाता है. सफाई होती ही नहीं है. जबकि, यहां सफाई के लिए एजेंसी है. शौचालय के लिए आये दिन मरीज शिकायत करते रहते हैं. लेकिन, कोई पहल नहीं होती है.
दफ्तरों में पहुंचते हैं पांच हजार से अधिक लोग 
जिला मुख्यालय स्थित सरकारी दफ्तरों में जिले से हर रोज तकरीबन पांच हजार से अधिक लोग पहुंचते हैं. अकेले करीब डेढ़ हजार फरियादी कलेक्ट्रेट आते हैं. ऐसे में उन्हें शौच जाना हो या फिर लघुशंका तो खुले में जाने के अलावे अन्य कोई विकल्प नहीं है. इतना ही नहीं, इन विभागों में काम करने वाले चतुर्थ वर्ग कर्मचारी भी खुले में ही लघुशंका जाते हैं, कारण कि शौचालयों की चाभी बड़ा बाबू के पास होती है..

HD Qualities Files Join Now
Latest Update Join Now
Breaking News

Related Post

Bettiah Nagar Nigam

Population of Bettiah

Bettiah Pin Code

Bettiah Wise Mayor

Saurabh Kumar MLC

Bettiah MLC

Leave a Comment