स्थानीय निवासियों की सूचना पर सक्रिय हुई पुलिस व राज प्रशासन ने चबूतरे से तोप को अलग कर उसे शीशमहल में रखवा दिया है. स्थानीय निवासियों की माने तो रात के समय तेज आवाज हुई थी, लेकिन किसी को आभाष नहीं हो सका कि तोप चोरी का प्रयास किया जा रहा है. वहीं पुलिस इसके पीछे किसी भी आपराधिक वारदात की बात से इनकार कर रही है.
जानकारी के अनुसार, बेतियराज के राजकचरी परिसर के सामने राज के जमाने के दो ऐतिहासिक तोप स्थापित किये गये हैं. इसमें से एक तोप का हैंडल पहले से ही चोरी हो चुकी थी. ऐतिहासिक होने के नाते चोरों के नजर में यह तोप काफी दिनों से चढ़े हुए थे. इधर, बुधवार की रात इन तोप में से एक को चोरी करने का प्रयास किया गया. मौका-ए-वारदात से जुड़े साक्ष्यों की माने तो पहले चोरों ने इस तोप को चबूतरे से अलग करने का काफी प्रयास किया,
लेकिन अलग नहीं कर पाने की दशा में किसी भारी चीज से प्रहार कर चबूतरे को ही जमीन से उखाड़ दिया गया. इससे चबूतर एक तरफ लुढ़क गया. हालांकि चोर तोप के साथ इस चबूतरे को यहां से ले जाने में सफल नहीं हो सके. गुरूवार की सुबह नजरबाग पार्क पहुंचे लोगों ने तोप का चबूतरा उखड़ा हुआ देख इसकी सूचना पुलिस को दी.
इसके बाद इसकी जानकारी बेतियाराज प्रशासन को हुई तो इसे तोप को चबूतरे से अलग कर शीशमहल में रखवा दिया गया. स्थानीय निवासियों ने इसे चोरी के प्रयास की वारदात कही है. वहीं थानाध्यक्ष नित्यानंद चौहान मामले में आपराधिक वारदात नहीं होने से इनकार मामले की जांच करना भी मुनासिब नहीं समझ रहे हैं.
ऐतिहासिक घड़ी की भी हो चुकी है चोरी : बेतियराज के ऐतिहासिक तोप के चोरी होने के प्रयास ने एक बार फिर यहां की सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया है. पुलिस प्रशासन बेतियराज की सुरक्षा को लेकर कितनी सजग है. उसकी बागनी राज में हुई सिलसिलेवार चोरियां बखूबी पोल खोल रही है. 6 जुलाई 2011 को बेतियाराज के ऐतिहासिक घड़ी की चोरी कर ली गई. बताया जाता है कि इस ऐतिहासिक घड़ी को बेतिया राज के पहले राजा उग्रसेन ने इंगलैंड से मंगवाया था.
कई ऐतिहासिक वस्तुएं हो चुकी हैं चोरी
दिसंबर में जवाहरातखाने में सेंघ लगा कर चोरी
का हुआ था प्रयास।
चोरों की नजर में बेतियाराज 90 के दशक से ही चढ़ा हुआ है. 1990 में बेतिया राज के खजाने का दरवाजा तोड़कर करोड़ों रूपये के सामान की चोरी कर ली गयी. इसके बाद 1994 में फिर चोरी की गई. इस भीषण चोरी के बाद तत्कालीन राज प्रबंधक किशोरी साव ने खजाने का बचा सामान सीजर बनाकर कोषागार में जमा करवा दिया. अगस्त 2011 में राज के दुर्लभ बर्तनों की चोरी कर ली गई. हालांकि, राज प्रबंधक द्वारा सामानों की कीमत महज सत्तर हजार रूपये बताई गई थी
लेकिन जानकारों की मानें तो ऐतिहासिक और पुरातात्विक सामानों की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में करोड़ों की आंकी गई थी. राज में चोरी की और भी बड़ी वारदात 2012 में और फिर 2013 में हुई थी. हाल ही में बीते साल दिसंबर माह में बेतियराज के जवाहरात खाने में सुरंग बनाकर चोरी
का प्रयास किया गया था..
स्रोत: प्रभात खबर