बेतिया: बिहार में 10अप्रैल से ही सत्याग्रह शताब्दी की धूम चल रही हैं। मोतिहारी के बाद कल हमारे शहर बेतिया में गाँधी जी का आगमन हुआ।
कुछ दिन पहले से ही बेतिया रेलवे स्टेशन पूरी तरह गांधीमय था, स्टेशन का कोना-कोना गांधी व सत्याग्रह के होर्डिंग से पटा था। कल सुबह 11बजे के करी बापू के प्रतिरुप ने जैसे ही बेतिया रेलवे स्टेशन पर कदम रखा पूरा माहौल बापू अमर रहे के जयकारे से गूंज उठा।
हर कोई गांधी को करीब से देखने के लिए बेताब रहा। सेल्फी लेने का भी जमकर दौर चला। हर कोई इस क्षण को अपनी आंखों में कैद करने का मौका नहीं छोड़ रहा था। बार-बार फूल माला पहनाकर बापू का स्वागत किया गया। इसके बाद 12:45 बजे जब हेरिटेज वाक का काफिला स्टेशन परिसर के गेट के बाहर निकला तो एक कारवां पीछे-पीछे निकल पड़ा। पूरी सड़क पर गांधी के समर्थन में लोग पैदल चलते रहे।
12:23 बजे हेरिटेज वाक का काफिला जब समाहरणालय गेट से आगे बढ़ा तो माले कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों वाले स्वर को बुलंद किया इसके बाद 12:29 बजे यह काफिला व्यवहार न्यायालय गेट के सामने से गुजरा। 12:32 बजे यह काफिला महावत टोला पहुंचा। इसके बाद जब 12:37 बजे एडीबी बैंक के सामने से जब यह काफिला गुजरा तो वहां पर बापू के प्रतिरुप पर फूलों की बारिश की गयी। 12:46 बजे जब यह काफिला उज्जैन टोला के पास पहुंचा तो वहां पहले से जमा सैकड़ों देशभक्तो ने वंदे मारतम् का नारा लगाकर उनका स्वागत किया। काफिले के आगे शताब्दी वर्ष समारोह समिति के कार्यकर्ता अपने बैनर के साथ चल रहे थे। इसके बाद 12:46 बजे हेरिटेज वाक का काफिला पिंजरापॉल गौशाला पहुंचा।
वहां पर पहले से उपस्थित लोगों ने बापू के लिए मंच तैयार किया था लेकिन बापू के प्रतिरुप ने अपने वाहन से ही उनके स्वागत को स्वीकार किया। यहां पर बापू की आरती उतारी गयी। इसके बाद 12 बजकर 33 मिनट पर यह काफिला जब तीन लालटेन चौक पहंचा तो वहां पर पहले से उपस्थित आर्या होटल की ओर से काफिले में शामिल लोगों को ठंडा पानी पिलाया गया। इसके बार लाल बाजार चौक की ओर यह काफिला रवाना हुआ जहां पर बार बार ट्रैफिक की कुव्यवस्था से थोड़ी परेशानी झेलनी पड़ी लेकिन बाद में सबकुछ सहज होता गया। इसके बाद लाल बाजार चौक पर पहले से मौजूद अमित लोहिया द्वारा काफिले में शामिल देशभक्तों के लिए ठंडे पानी की व्यवस्था की गयी थी। लाल बाजार चौक की व्यस्त सड़क को पुलिसकर्मियों ने जाम मुक्त कराया जिससे हेरिटेज वाक का काफिला आराम से 1: 10 बजे सोआबाबू चौक पहुंचा। पूरा शहर मानो देशभक्ति की आबोहवा में समाहित हो चुका था। इस ऐतिहासिक पल को कैमरे में कैद करने की मानो होड़ लगी हुई थी। बापू के प्रतिरुप ने इस बीच बार बार हाथ हिलाकर लोगों के अभिवादन को स्वीकार किया। लगभग 1 बजकर बीस मिनट पर हैरिटेज वाक का काफिला हजारीमल धर्मशाला के गेट पर पहुंचा जहां पर स्वर्ण व्यवसायियों ने फूल की बारिश कर उनका स्वागत किया।
बापू की दीवानगी में बेतियावासी तोड़ते रहे सुरक्षा चक्र..
सौ साल पहले आज ही के दिन बापू के चरण पंचकठियों के माथे से नील के धब्बे को मिटाने के लिए यहां पड़े थे। आज उसकी झलक बेतिया स्टेशन और शहर के कोने कोने में दिख रहा था। हर देश में तू हर वेश में तू .., के बोल उस धरती पर बलवती होती जा रही थी। जैसे ही स्पेशल ट्रेन से बापू के प्रतिरूप को प्रस्तुत करने वाले कलाकार स्टेशन पर उतरे उनपर फूलों की बारिश होने लगी और उनके अभिनंदन की ललक लिए उतावले हो रहे नगर के दिलवालों ने प्रशासन के सुरक्षा तंत्र को भेद दिया।
चौक-चौराहों पर रहा सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम..
गांधी के प्रतिरूप कार्यक्रम का आगाज कुछ इस कदर हुआ की प्रशासन के सुरक्षा प्रहरियों को पसीने बहाने पड़े। जैसे जैसे काफिला स्टेशन और शहर में प्रवेश करता रहा वैसे वैसे सुरक्षा प्रहरियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सबसे अधिक परेशानी समाहरणालय और स्टेशन चौक पर उठानी पड़ी। काफिले के साथ ही जाम से माहौल छटपटाने लगा। लेकिन बापू के दीदार को तरसने वाली आंखे इन सब बातों का परवाह किए बगैर सुरक्षा व्यवस्था को उसके हाल पर छोड़ती रही। बापू के प्रतिरूप का स्वागत कुछ इस कदर हो रहा था मानों बेतिया सौ साल पहले का बेतिया हो।
मौसम भी रहा गांधी जी पर मेहरबान..
कार्यक्रम की सफलता में जहां सुरक्षा व्यवस्था ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई वहीं मौसम भी मेहरबान रहा। 22 अप्रैल को मानो बापू आसमान से अपने लोगों की निगहबानी कर रहे थे। एक ओर उनका प्रतिरूप तो दूसरी ओर बेतिया की आम आवाम मौसम की मेहरबानी को बापू की ही कृपा बताने में लगे रहे। सुरक्षा में लगने वाले लोगों को गर्मी से राहत मिलती रही और वे बड़े ही शांत भाव से व्यवस्था में लगे रहे। आसमान में काले बादलों का बसेरा जरूर रहा लेकिन बारिश नही हुई। बार बार इतिहास दोहराने वाली इस धरती पर मौसम भी इतिहास दोहरा रहा था।
गांधी के स्वागत में कदम से कदम मिलाकर चले बेतियावासी..
पूरे सौ साल बाद इतिहास ने खुद को दोहराया। चेहरे बदल गए थे, लेकिन नजारा वहीं था। बेशुमार भीड़ गांधी का इंतजार कर रही थी। तिरंगे से पटा बेतिया रेलवे स्टेशन पर मौजूद हर शख्स को स्पेशल ट्रेन का इंतजार था। जिस पर सवार होकर गांधी आने वाले थे। नौजवान बूढ़े और बच्चों के चेहरे पर खुशी मिश्रित उल्लास था। दिन के ठीक 11 बजकर 20 मिनट पर स्पेशल ट्रेन आती देखकर स्टेशन पर मौजूद लोगों में ऊर्जा का संचार हो उठा। महात्मा गांधी अमर रहे वंदे मातरम, भारत माता की जय के जयघोष से वातावरण गांधीमय हो गया। बापू को लेकर ट्रेन पहुंची। कमर में लिपटी धोती, शरीर पर शॉलनुमा कपड़ा पैर में काले रंग का चप्पल, आंख पर चश्मा, एक हाथ में लाठी और दूसरे हाथ में भागवत गीता लिए गांधी के प्रतिरूप बापू का लोगों ने पहली झलक पाते ही जयकारा गूंजने लगे। बापू ने ट्रेन पर से ही इस भूमि और मौजूद लोगों का नमन किया। हाथ उठाकर सभी का अभिवादन किया और निकल पड़े उस राह पर जिस पर एक सौ वर्ष पहले 22 अप्रैल 1917 को महात्मा गांधी ने चली थी।
बापू के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन ¨सह भी थे। इस दौरान स्टेशन पर बापू का भव्य स्वागत किया गया। बापू का एक झलक देखने के लिए लोग आतुर दिखे। सभी उसे अपने कैमरे में कैद कर यादगार बनाना चाहते थे। 100 वर्ष पहले बापू जब बेतिया पहुंचे थे तो वहां मौजूद लोगों ने तो उन्हें नहीं देखा था, लेकिन स्टेशन पर जो नजारा दिख रहा था उससे कल्पना की जा सकती थी। इतिहास खुद को दुहरा रहा है। लोगों की भीड़ के बीच बापू को स्टेशन परिसर में बने मंच तक लाया गया। जहां उनका और उनके साथ आए अतिथियों का स्वागत किया गया। फिर खुली जीप पर बापू सवार हुए। जीप के आगे केंद्रीय मंत्री बैठे थे, जबकि बापू के साथ स्थानीय सांसद डा. संजय जायसवाल, वाल्मीकिनगर सांसद सतीशचंद्र दूबे, चनपटिया विधायक प्रकाश राय, भाजपा जिलाध्यक्ष गंगा प्रसाद पांडेय, डा. प्रमोद तिवारी आदि लोगों का अभिवादन स्वीकारते आगे बढ़ रहे थे। आगे-आगे सैकड़ों लोगों की हुजूम, उनके हाथ लहराते तिरंगा झंडा महात्मा गांधी और राष्ट्रभक्ति जयघोष के नारे के साथ काफिला आगे बढ़ा। उत्साही युवक हाथ में झंडा ले कर बाइक पर सवार थे। सड़कों के किनारे लोग बापू के दिदार के लिए खड़े थे और इस पल को यादगार बनाने के लिए सेल फोन से फोटो खींच रहे थे।
रास्ते में काफिले पर जगह-जगह पुष्प बरसाएं जा रहे थे। रास्ते में कई जगह लोगों ने पानी का स्टॉल भी लगाया था। जिससे बापू के साथ आने वाले लोगों का प्यास बुझाया जा सके। काफिला समाहरणालय चौक जनता सिनेमा चौक होते हुए पिजरापोल गौशाला पहुंचा जहां बापू को तिलक लगा आरती उतारी गई और पुष्प की माला पहना स्वागत किया गया। काफिला आगे बढ़ा तीन लालटेन चौक, लालबाजार, सोआबाबू चौक होते हुए हजारीमल धर्मशाला पहुंचा जहां एक सौ वर्ष पहले मोहन दास करमचंद्र गांधी निलहों के आतंक से चम्पारण के किसानों की मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से पहुंचे थे और से सत्याग्रह की शुरूआत की थी।