बेतिया: अगर कोई पूछे कि आप अपने कलेजे के टुकड़े को कितने में बेचेंगे तो शायद आपका जवाब एक ही होगा कि किसी कीमत में भी नही, लेकिन यहां ऐसा नही है।
बेबसी और लाचारी ने एक मां को अपनी कोख की जान बचाने के लिए अपने पोते का सौदा कर देना पड़ा। वह भी महज चंद रुपयों के लिए। जी हां, बेतिया में एक मां ने अपने ही कोख के लाल की जान बचाने के लिए अपने दूधमुंहे पोते को बेच डाला है। वह भी सत्तर हजार रुपये में। दिल दहला देने वाली इस घटना के बाद पूरे जिले में हड़कंप मच गया है। लौरिया की रहने वाली फुलमति ने अपने बेटे के इलाज के लिए पोते का सौदा कर डाला है। वह भी शौक से नही बल्कि उस लाचारी की वजह से जहां उसका बेटा ¨जदगी और मौत से जूझ रहा है।
बता दें के, शहर के मित्रा चौक स्थित एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती नन्हू शुक्रवार को पुलिस के सामने फफक कर रो पड़ा. कहा कि साहेब मैं भी मरने के कगार पर पहुंच चुका हूं. जीने की उम्मीद खो चुका हूं. पत्नी एक माह पहले ही बीमारी से मर चुकी है. मासूम बेटे को देखभाल करने का साहस नहीं जुटा पा रहा था. इलाज का पैसा भी नहीं था. ऐसे में क्या करता. दोस्त ने बेटे को बेचने को सलाह दी. थोड़ा सोचा जरूर, लेकिन जब खरीददार ने कहा कि वह मेरे बेटे को पुलिस बनायेगा और बड़े होने पर मिलायेगा भी, तो मैं तुरंत राजी हो गया. 70 हजार नगद मिला तो गोद में बैठे बेटे को खरीददार को सौंप दिया और मुंह फेर लिया.
रोते हुए जुबान में नन्हू राम की यह बातें सुन पुलिस भी भौंचक रह गई तो हॉस्पिटल में मौजूद लोगों का कलेजा फट गया. नन्हू ने पुलिस को आगे बताया कि वह 40 दिन से भर्ती है. चंदा मांगकर दवाईयां करा रहा हूं. खुद के खाने के लाले थे. ऐसे में मासूम बेटे का देखभाल कैसे करता था. पहले सोचा था कि इसे अपनी फुफेरी बहन को देखभाल के लिए सौंप दूंगा. लेकिन इसी बीच मेरा एक दोस्त मिला और उसने बेटे को बेचने की बात कही. मैने मना कर दिया, लेकिन वह यूपी से किसी खरीददार को लेकर आया. खरीददार यूपी का कोई पुलिस अधिकारी था. उसने कहा कि वह उसके बेटे को बड़ा होने पर पुलिस का ऑफीसर बनायेगा. अच्छे से देखरेख करेगा और बड़े होने पर मिलाने के लिए ले आयेगा. गरीबी और इलाज के खर्च को देखते हुए मैने बेटे को बेच दिया.
जब प्रशासनिक महकमें में ये खबर मिली तो शुक्रवार को एसडीएम सुनील कुमार,एसडीपीओ संजय कुमार झा थानाध्यक्ष नित्यानंद चौहान समेत कई आला अधिकारी मित्रा चौक अवस्थित उस नर्सिंग होम पहुंचे जहां फुलमति के बेटे नन्हकू का इलाज चल रहा है। एसडीपीओ संजय कुमार झा ने बताया कि पुलिस उस व्यक्ति की तलाश कर रही है जिसने फुलमति के पोते और नन्हू के बेटे को खरीदा है।
बहरहाल इस हृदय विदारक घटना ने उन सारे संभावनाओं को हिला कर रख दिया है जिसमें सुरक्षित और सुसज्जित समाज होने का दंभ भरा जाता है।
क्या है मामला
लौरिया थाना के मिश्र टोला निवासी नन्हू राम ने अपने बेटे का सौदा महज सत्तर हजार रुपये में कर डाला। इसके पीछे उसकी गरीबी और लाचारी की बात कही जा रही है। नन्हू की मां फुलमति ने बताया कि उसके बेटे के इलाज के लिए पैसों की कमी पड़ रही थी। शिकारपुर थाना क्षेत्र के बेलबनिया निवासी प्रमोद कुमार जो अपनी पत्नी का इलाज कराने मित्रा चौक पर आया हुआ था। उसे मेरे बेटे ने अपनी आपबीती सुनाई। इसके बाद वो उसके पोते को किसी और से बेचे जाने की बात कह उसे बेचवा दिया।
बदले में उसे सत्तर हजार रुपये भी मिले उसी से उसका इलाज चल रहा है। बता दें कि अगस्त माह में नन्हू ट्रेन से गिर गया था। इससे उसके पैर में घाव हो गया था। झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करवाने के कारण उसका एक पैर सड़ गया। वह चलने-फिरने में भी असमर्थ हो गया। इसके बाद जब वो बेतिया इलाज कराने पहुंचा तो उससे डाक्टरो न 30 हजार रुपये की मांग की। नन्हू ने क्लिनिक में सत्तर हजार रुपयों में से 0 हजार रुपया जमा भी करा दिया है।
लालसा की मौत के साथ ही मिट गयी पोते की लालसा
नन्हू की मां ने बताया कि उसके और बेटे के सामने कोई और चारा नहीं था। ऐसे में उन्होंने अपने कलेजे के टुकड़े को बेच दिया। एक माह पहले ही नन्हू की पत्नी लालसा देवी की मौत बीमारी से हो गयी। वह पत्नी की चिता को आग तक नहीं दे सका। ऐसे में वो अपने जवान बेटे को खोना नही चाहती थी सो सौदा करना पड़ा।
फुलमति के इस फैसले ने जहां एक मासूम को अपनों से दूर कर दिया है वहीं ये संकेत भी दे दिया है कि गरीबो के लिए हमसफर बनने वाला कोई नही अगर कोई है भी तो वो तो बस सौदा..।
फुलमति के इस फैसले ने जहां एक मासूम को अपनों से दूर कर दिया है वहीं ये संकेत भी दे दिया है कि गरीबो के लिए हमसफर बनने वाला कोई नही अगर कोई है भी तो वो तो बस सौदा..।