बेतिया: अपने शहर में अपराध का ग्राफ काफी गिरा हैं, जो के एक सुखद बात हैं। और इस बात से हर नगरवासि भी भली-भांति परिचित हैं। पर इसी के बीच में एक ऐसा भी मसला हैं, जिसपर सवाल उठाना लाज़िमी लगता हैं। बेतिया में करीब 2महीने से अपराधों का ग्राफ जैसे नीचे गया हैं। ये वाकई यहाँ की प्रशासन के लिए काबिले-तारीफ़ हैं। पर इस नीचे जाते ग्राफ में एक ऐसा पहलू भी हैं जो काफ़ी तेजी से उपर की ओर आता दिख रहा हैं।
जिन्हें देखकर बेतिया पुलिस की विफलता ही दिखती हैं।
अगर हम गौर करें तो ऐसा वारदात जो इस सुखदम्य नीचे जाते ग्राफ में भी सबसे उपरी पायदान में हैं, वो हैं वाहनों की चोरी की। हम आपको बताना चाहेंगे के पिछले 2महीने में पुरे 63 वाहन चोरी की मामले दर्ज की गई।
हत्या, लुट-पाट, मार-पिट, इत्यादि पर अंकुश लगाने में पुलिस तो कामयाब हो गई, पर छोटे-मोटे मामले बढ़ते ही जा रहे हैं, हमेशा हो रही वाहन चोरी से लोग भी दहशत में हैं, और एक और नाकामी ये भी हैं पुलिस की बेतिया में कोई खास स्टैंड/पार्किंग की सुविधा नहीं हैं। जहाँ लोग अपना गाड़ी लगा सके, पार्किंग ना होने के वजह भी एक बड़ी कारण हैं बढती वाहन चोरी के, और खास बात ये हैं के ज्यादातर चोरिया मेजर जगहों जैसे धर्मशाला, चर्च रोड़, कचहरी, इत्यादि जगहों पर से हो रही हैं। एक तरफ जहाँ पुलिस की काम काबिल लायक हैं वहीं दूसरी तरफ लेकिन ऐसी वारदातों पर अब तक पुरी तरह रोक नही लग पाया है। आए दिन हो रहे वाहनों की चोरी से लोग खौफजदा हैं। आम लोगों के बीच यह चर्चा आम हो रही है कि गश्ती के नाम पर पुलिस वाहनों का सायरन तो बजता है पर चोरी की घटनाओं पर रोक नही लग पा रही।
अपराधियों पर गश्ती का असर नहीं
दिन हो या रात पुलिस द्वारा हरेक थाना क्षेत्रों में गश्ती दल को निकाला जाता है। पुलिस गश्ती वाहन सड़कों के किनारे या फिर एक निश्चित स्थान पर रोक कर गश्त की जाती है। अपराधी इसी बात का फायदा उठा लेते हैं। अपराधियों को इस बात की जानकारी रहती है कि गश्ती दल किस रास्ते और कहां जाकर रूक जाती है। ऐसे में वो बड़े ही सहज रूप से किसी भी घटना को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं। पुलिस के पास संसाधनों का अभाव भी वारदातों को रोक पाने में अक्षम साबित होता रहा है।
दो महीनों में हुई अपराधों की सूचि |
---|
●हत्या : 08, ●रोड़ लुट : 02, ●चोरी : 25, ●बैंक डकैती : 00, ●वाहन चोरी : 63, |