इस दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष हैं अरमानी खान, पूजा पंडाल में अता होती है नमाज

इस दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष हैं अरमानी खान, पूजा पंडाल में अता होती है नमाज 1

देश में लगातार हो रही हिंसा की घटनाओं के बीच एक गंगा-जमुनी तहजीब की विरासत बिहार के बगहा में दुर्गा पूजा के दौरान दिख रही है. आपसी भाईचारा और सदभाव का सुंदर दृश्य यहां के पूजा पंडालों में लोगों को बरबस अपनी ओर खींच रहा है. यहां मुसलमान ही दुर्गा पूजा कराते हैं और पूजा पंडाल में ही नमाज भी अता की जाती है. धर्म के नाम पर समाज में खाई पैदा करने की कोशिशों को ये करारा तमाचा है.

ये हैं अरमानी खान. पांचों पहर नमाज अता करते हैं. आजकल दशहरा को लेकर मां दु्र्गा की आराधना में जुटे हैं. फलाहार कर नवरात्र का व्रत रखने वाले इस मुसलमान के दिल में हिन्दुओं के पर्व के प्रति भी उतनी ही आस्था और श्रद्धा है. घर छोड़कर माता का मंडप ही इनका आशियाना है. यहीं पर मां की आराधना भी करते हैं और यहीं पर नमाज भी. अरमानी खान की भक्ति के कारण बगहा के नवदुर्गा पूजा समिति ने इन्हें अध्यक्ष की जिम्मेवारी सौंप दी है।

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इस जिम्मेदारी से अभिभूत अरमानी खान कहते हैं, “मैं तीन वर्षों से नवरात्रि का व्रत रख रहा हूं. राम-रहीम के देश की यही तो खूबसूरती है. हिंदू भाइयों से इतना प्यार और सहयोग मिला है कि पूछिए मत. कोई सोच सकता है किसी मुसलमान को पूजा समिति का अध्यक्ष बना दिया जाए.”

पंडाल और मां दुर्गा की मूर्ति बनाने वैशाली से आए कारीगर भी इसे देखकर खुश तो हैं ही, हैरान भी हैं. मूर्तिकार रामलखन पंडित कहते हैं कि वैशाली के कारीगर देश भर में जाकर दुर्गा मूर्ति बनाते हैं पर जो बात यहां के पंडाल में दिखाई दे रही है, वो विरले ही कहीं दिखती है. अरमानी खान के सहयोग से बने पंडाल में पूजा कराने वाले पंडित आचार्य रोहित द्विवेदी कहते हैं, यहां न कोई हिंदू है और न ही मुसलमान. सब अभी दुर्गा भक्त हिंदुस्तानी हैं. यहां मां दुर्गा की आराधना करने वाले अरमानी खान अकेले मुसलमान नहीं है.

यहां के हर मुसलमान के दिल में मां के लिए ऐसी ही भक्ति है. बगहा की इसी धरती ने पिछले वर्ष मोहर्रम और दशहरा की तारीख टकराने के बाद आपस में बैठकर मोहर्रम की तारीख आगे बढ़ा दी थी. दशहरे के बाद मोहर्रम के दिन हिंदू समाज के लोग मुसलमानों की आवभगत में लगे थे.

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