पक्ष और प्रतिपक्ष आमने सामने था और नेताओं का शब्द भेदी बाण नगर के टाउन हॉल में लगातार बरस रहे थे। मामला शांत हो गया और छावनी में आरओबी निर्माण की आस लिए लोग अपने अपने घरों को लौट गए। देखते ही देखते छह माह गुजर गए एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर थम सा गया था और फिर आरओबी निर्माण को लेकर आंदोलन की सुगबुगाहट सामने आने लगी।
लेकिन जैसे ही लोगों को लगा कि अब आरओबी निर्माण की पहल तेज हो गई है और शीघ्र ही शिलान्यास होगा आंदोलन की आंच सुलगने से पहले ही मंद पड़ गई। फिर वो सुनहरी तारीख भी मुकर्रर हो गई,
जिसमें केन्द्रीय रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने छावनी समपार संख्या 02 पर आरओबी निर्माण का शिलान्यास रिमोट से कर दिया। कहते हैं जहां चाह वही राह, जिन लोगों की उम्मीदें धारासाई हो गयी थी, उन्हे एक बार फिर उनके अंदर आरओबी निर्माण की आस जग गई। लगने लगा कि बहुत तड़पे हैं आरओबी के लिए अब नहीं तड़पना पड़ेगा। लेकिन राजनीति और विकास का पैमाना क्या होता है आज उसी छावनी चौक के पास देखने को मिल रहा है। यहां कड़ाके की ठंढ में शहर के लोग उस आरओबी निर्माण की मांग कर रहे हैं, जिसका शिलान्यास ठीक छह माह पहले किया गया था।
उम्मीदें टूटती हैं, घोषणाएं जब हवा हवाई साबित होती है और मुश्किलें आम आवाम को झकझोरती है, तो आंदोलन की आंच सुलगने से भला कौन रोक सकता है। पब्लिक सड़क पर होती है और फिर निकलने लगते हैं जूबां से जज्बातों के उदगार। ये तो छलिया हैं, छलिया बन जनता से ही छल कर गए हमारे रहनूमा..। ये उदगार उस सख्श के हैं, जो अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं और पिछले दो दिनों से आरओबी निर्माण को लेकर छावनी में धरने पर बैठे हैं। सामाजिक विकास संगठन के संरक्षक विद्यानंद शुक्ल रहनूमाओं के साथ- साथ रेल के अधिकारियों को भी कोसते नजर आ रहे हैं।
आंदोलन पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अब फैसला होकर रहेगा या तो निर्माण कार्य प्रारंभ होगा या फिर संघर्ष की गति और अधिक तेज होगी। छवनी में आरओबी निर्माण को लेकर एक बार फिर लोग सड़क पर हैं फर्क सिर्फ इतना है कि सड़क जाम नही किया जा रहा सांकेतिक धरना के माध्यम से उन पर प्रहार किया जा रहा जिन्होंने आश्वासनों के आसरे और शिलापट्ट लगवा कर महज जिलेवासियों को छलने का काम किया।
आंदोलन की आंच पर सुलग रही आरओबी निर्माण की आस
सामाजिक विकास संगठन के बैनर तले दूसरे दिन भी आरओबी निर्माण को लेकर लोगों ने धरना दिया। कड़ाके की ठंढ से बेपरवाह सदस्यों ने प्रशासन और राजनेताओं को चेताते हुए कहा कि जब तक निर्माण कार्य प्रारंभ नही हो जाता वे चैन से नही बैठने वाले। आंदोलन के समर्थन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोगों की भीड़ आंदोलन स्थल से हटने का नाम नही ले रही। हांलाकि आरओबी के सवाल पर अभी कोई कुछ बोलने को तैयार नही है।
अनीश्चित कालीन धरना पर बैठे आंदोलनकारियों में शामिल संगठन के संरक्षक विद्यानंद शुक्ल,रधुनाथ आर्य, निखील कुमार, अंकित कुमार, आरजु कुमार, रोहित कुमार, सुजीत कुमार गुड्डु, मिशु कुमार, सुजीत चन्द्रवंशी, राहुल सिंह, विजय नारायण, आमिद आलम, उदय कुमार आदि वक्ताओं ने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ जम कर अपनी अपनी भड़ास निकाली। आंदोलनकारियों ने कहा कि पहले एनओसी नही मिलने की बात कही गयी, बाद में 15 मार्च को एनओसी भी मिल गया, लेकिन कार्य प्रारंभ नही हुआ। जबकि 13 मई को रेल राज्य मंत्री द्वारा शिलान्यास करने की बात कही गयी और स्टेशन पर शिलापट्ट भी लगवा दिया गया लेकिन निर्माण कहां हो रहा है अभी तक पता नही चल सका। आरओबी निर्माण को लेकर जनप्रतिनिधियों ने खुब वाह वाही बटोरी लेकिन नतीजा क्या है जनता के सामने हैं। आंदोलन पर बैठे लोगों ने ये चेतावनी भी दे डाली की अब जब तक आरओबी निर्माण का कार्य प्रारंभ नही हो जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा