अब यहां पहुंचने वाले पर्यटक जंगल में विचरण करते बाघों का दीदार कर सकेंगे।
करीब छह माह पूर्व वाल्मीकिनगर दौरे पर आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां मौजूद पर्यटन की संभावनाओं की समीक्षा की। उन्होंने वन अधिकारियों को जंगल सफारी की व्यवस्था करने के साथ-साथ बाघों के अधिवास क्षेत्र को बढ़ाने के लिए ग्रासलैंड डेवलप करने का निर्देश भी दिया था। इसके अलावा पर्यटकों के ठहरने और उनके भोजन की उत्तम व्यवस्था के लिए होटल वाल्मीकि विहार को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने को कहा था। अब वन विभाग ने पर्यटकों के लिए जंगल सफारी की व्यवस्था की है।
हाथी की सवारी का आनंद
वाल्मीकिव्याघ्र परियोजना के जंगल में भ्रमण के लिए वन विभाग की ओर से वाहन एवं गाइड उपलब्ध कराए जाते हैं। हाथी की सवारी की व्यवस्था भी है। यह जंगल सफारी के आनंद को दोगुना कर देता है । गंडक में राङ्क्षफ्टग की सुविधा भी है। इंडो-नेपाल बॉर्डर पर ऐतिहासिक गंडक बराज के किनारे लगे बिजली बल्ब का ङ्क्षबब रात्रि में मरीन ड्राइव का एहसास कराता है।
ठहरने की बेहतर व्यवस्था
गंडक नदी के तट पर जंगलों के बीच बने होटल वाल्मीकि विहार, जंगल कैंप परिसर में बने बंबू हट, फोर फ्लैट के अलावा वाल्मीकिनगर, गनोली, नौरंगिया, गोवर्धना, मदनपुर, दोन,मंगुराहा आदि जगहों में वन विभाग के रेस्ट हाउस उपलब्ध हैं।
प्रकृति की गोद में बसा है वाल्मीकिनगर
वाल्मीकिनगर का दृश्य मनोरम है। यहां का टाइगर रिजर्व बिहार का इकलौता और भारत के प्रसिद्ध उद्यानों में से एक है। इसकी सीमा पर ढाई सौ एवं इसके मध्य 26 गांव बसे हैं। व्याघ्र परियोजना के हरे-भरे जंगल विभिन्न प्रजाति के पेड़-पौधे एवं वन्यजीवों से संपन्न हैं। दिन में गंडक नदी के शांत पानी में पहाड़ का प्रतिबिंब आकर्षक लगता है। सर्दी के दिनों में यहां से हिमालय पर्वत का दीदार कश्मीर की स्मृति को ताजा कर देता है।
वीटीआर में जंगल सफारी की व्यवस्था की गई है। यहां पर्यटकों की हर सुख सुविधा का ख्याल रखा जाएगा।
– आरके सिन्हा, रेंजर, वाल्मीकिनगर रेंज