नरकटियागंज: समस्तीपुर मंडल के नरकटियागंज जंक्शन को मॉडल स्टेशन का दर्जा प्राप्त है, लेकिन यह जंक्शन अपने आप में मॉडल बन गया है।
यहां तक कि अंग्रेज भी इस स्टेशन के निर्माण का खाका खींचने में धोखा खा गए।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह उत्तर बिहार का पहला जंक्शन है जहां प्रवेश व निकास द्वार नहीं है। इस जंक्शन से चारों दिशाओं के लिए ट्रेनें खुलती रही है।
वर्तमान समय में नरकटियागंज-रक्सौल और नरकटियागंज-भिखनाठोरी रेलखंड पर आमान परिवर्तन के कारण रेल परिचालन बंद है।
इस जंक्शन की महत्ता इसलिए भी बढ़ जाती है कि पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशाओं में ट्रेन परिचालन का यह मुख्य केंद्र है, जो जल्दी कहीं और नहीं दिखती। चारो और से खुले इस जंक्शन पर पहुंचने और निकलने के लिए अनगिनत रास्ते हैं, लेकिन मुख्य प्रवेश और निकास द्वार का कही अता-पता नहीं है।
ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है की आमलोगो और रेल माध्यम से यात्रा करनेवालों को क्या परेशानी होती होगी, खासकर उन्हें जो पहली बार इस जंक्शन पर अपना पांव रखते हैं।
1904 में स्थापित हुआ था रेल जंक्शन
नरकटियागंज जंक्शन की स्थापना 1904 में हुई। ब्रिटिश काल में स्थापित इस जंक्शन का निर्माण इस उद्देश्य से हुआ कि आमलोगों को परिवहन व्यवस्था में सहुलियत मिलेगी। ऐसा हुआ भी, लेकिन ब्रिटिश अधिकारी प्रवेश और निकास द्वार का खाका खींचने में चूक कर गए।
जंक्शन पर बहुत सारे बदलाव हुए और अब भी हो रहे हैं लेकिन 114 साल बाद भी यह जंक्शन प्रवेश और निकास द्वार को तरस रहा है। प्रवेश द्वार के अभाव में लोग संरक्षा नियमों के विपरीत रेलवे लाइन पार कर जंक्शन पर पहुंचने को विवश हो रहे हैं।
शहर को दो भागों में बांटता जंक्शन
उत्तर बिहार का सबसे चर्चित यह जंक्शन शहर को दो भागों में बांटता है। शहर की एक तिहाई आबादी जंक्शन से उत्तर और बाकी आबादी दक्षिण में बसती है। शहरीकरण का बढ़ता दायरा और लगातार बढ़ रही आबादी यह दर्शाती है कि इस जंक्शन को प्रवेश और निकास द्वार की अत्यंत आवश्यकता है।
उत्तर और दक्षिण दिशा में रहने वाले लोगों को कई बार इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा है। जंक्शन पर टिकट चेकिंग के दौरान उन्हें बिना कसूर जुर्माना भी भरना पड़ा है।
रेल यात्री और बेजुबानों में मिट जाता फर्क
यह पहला रेलवे जंक्शन है जहां रेल यात्रियों के साथ-साथ आवारा पशु भी कहीं से प्रवेश कर जाते हैं। जंक्शन के चारों तरफ से खुला होने की वजह से मवेशी यदा-कदा जंक्शन पर प्रवेश करते रहते हैं। दो तरफ से लाइन होने की वजह से कई बार मवेशी व आम आदमी भी आने-जानेवाली ट्रेनों का शिकार बनता रहा है।
जंक्शन चारों ओर से खुला है यह बात सही है। लेकिन, प्रवेश द्वार और निकास द्वार के बारे में हम कुछ नहीं बता सकते हैं। इस बारे में वरीय रेल अधिकारियों को भी पूरी जानकारी है। – लालबाबू राउत, स्टेशन अधीक्षक, नरकटियागंज